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मुजफ्फरपुर में चार साल में पांच सौ बार पुलिस दफ्तरों के चक्कर, नहीं मिला इंसाफ

मोतिहारी के कारोबारी पुत्र व उसके दोस्त का चार साल पूर्व मोतीपुर से अगवा के बाद कर दी गई थी हत्याअब तक शव का पता नहीं लगी सकी पुलिस पर्यवेक्षण व जांच से असंतुष्ट स्वजन उठा रहे सवाल बदले तीन एसएसपी एक डीएसपी व तीन जांच अधिकारी नहीं मिला न्याय

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 09:43 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में चार साल में पांच सौ बार पुलिस दफ्तरों के चक्कर, नहीं मिला इंसाफ
मुजफ्फरपुर पुल‍िस से एक बार फ‍िर म‍िला आश्‍वासन। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मुजफ्फरपुर, जासं। मोतीपुर इलाके से मोतिहारी के कारोबारी के पुत्र व उसके दोस्त की अगवा कर हत्या कर दी गई। शव का अब तक पता नहीं चला। स्वजन इंसाफ के लिए दर-दर भटक रहे हैं। स्वजनों का कहना है कि करीब चार साल पूर्व उनके बेटे व उसके दोस्त को अगवा कर लिया गया था। पुलिस ने जांच के बाद बताया कि उनके बेटे की हत्या कर दी गई है मगर शव को नहीं खोज पाई।

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न्याय के लिए स्वजन चार साल में एसएसपी समेत अन्य वरीय पुलिस अधिकारियों के दफ्तर का करीब पांच सौ बार चक्कर लगा चुके हैं। उन्हें सिर्फ आश्वासन मिलता रहा। सोमवार को भी एसएसपी दफ्तर में फरियाद लेकर आए। एसएसपी जयंत कांत ने आवेदन पर जांच कर कार्रवाई का भरोसा दिया। स्वजनों की मानें तो चार साल की अवधि में तीन एसएसपी व एक डीएसपी बदल गए। तीन जांच अधिकारी बदले। पर्यवेक्षण व पुलिस की जांच से स्वजन असंतुष्ट हैं। उन्होंने कई बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए पुन: जांच के लिए एसएसपी को आवेदन दिया है।

बता दें कि दो जुलाई 2017 को मोतिहारी के राजेंद्र नगर निवासी कारोबारी प्रदीप प्रसाद के पुत्र मनीष कुमार अपने दोस्त दीपक के घर पर मोतीपुर इलाके में आए। इसके बाद दोनों लापता हो गए। खोजबीन में पता नहीं चलने पर स्वजनों ने प्राथमिकी दर्ज कराई। एक महीने बाद पुलिस की ओर से कहा गया कि साहेबगंज इलाके में दोनों की हत्या कर शव को नदी में फेंक दिया गया। उस दिन से लेकर अब तक स्वजन इंसाफ के लिए भटक रहे हैं। हालांकि मोतीपुर पुलिस का कहना है कि मामले में ङ्क्षप्रस, बबलू यादव व संतोष यादव को जेल भेजा गया। स्वजनों का कहना है कि ठोस साक्ष्य व कमजोर केस डायरी का आरोपितों को फायदा मिला। इसके कारण हत्या जैसे मामले में आरोपित को जमानत मिल गई। कोर्ट के आदेश का भी पुलिस ने सही से अनुपालन नहीं किया। 2018 में जब्त मोबाइल को रिलीज करने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया गया। पुलिस से रिपोर्ट तलब हुई। रिपोर्ट नहीं देने पर थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण मांगा गया। रिपोर्ट अपर्याप्त होने से स्वजनों को अब तक मोबाइल नहीं मिल सका।


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