वीटीआर के जंगलों से फिर उठीं आग की लपटें, पांच एकड़ के पौधे जलकर नष्ट Westchamparan News
मशक्कत के बाद पाया गया आग पर काबू। घटना में चरवाहे की संलिप्तता की आशंका। हालांकि किसी के मरने की सूचना नहीं है।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना ( वीटीआर) के जंगलों में आगजनी की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। लेकिन, वन विभाग की ओर से ठोस पहल नहीं की जा रही है। बीती रात थाना क्षेत्र के जटाशंकर चेक नाका के पास गंडक कॉलोनी से सटे जंगल में धुआं उठने लगा। लोगों ने पहले तो ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जब आग की लपटें उठने लगीं तो ग्रामीणों ने विभाग को सूचना दी। मौके पर पहुंचे वन विभाग के फायर वाचरों ने आग पर काबू पाया। तब तक पांच हेक्टेयर में लगे सैकड़ों हरे पौधे जल चुके थे। वहीं, शनिवार दोपहर भेडि़हारी जंगल भी आग की चपेट में आ गया। इस दौरान जंगली जीव जंतु इधर -उधर भागने लगे। हालांकि, किसी के मरने की सूचना नहीं है। फायर वाचर ने घंटों मशक्कत के बाद काबू पाया। रेंजर महेश प्रसाद ने कहा कि
आशंका है कि किसी ने जलती बीड़ी- सिगरेट झाडिय़ों में फेंक दिया। घटना में चरवाहों की संलिप्तता से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। अक्सर चरवाहे गर्मी के दिनों में झाडिय़ों में आग लगा देते हैं। इससे बरसात में उन्नत किस्म की घास उग आती है। इसका वे उपयोग करते हैं।
इससे पूर्व भी हो चुकी हैं घटनाएं
बीते पांच अप्रैल को त्रिवेणी कैनाल से सटे जंगल में आग से करीब पांच एकड़ में उगी जड़ी -बूटी और हरे -भरे पौधे जल गए। वहीं, सात अप्रैल को मुख्य तिरहुत नहर 9 आरडी वन कक्ष संख्या एम 27 के पास भी आग से दस हेक्टेयर में लगे हरे पेड़-पौधे और झाडिय़ां नष्ट हो गई थीं। इससे पूर्व मदनपुर वन में 40 एकड़ में लगे हरे पौधे व घास जलकर नष्ट हो चुकी थी।