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पहले सबने बनाया हंसी का पात्र, कामयाबी मिलने के बाद मुशर्रफ बनीं प्रेरणा

एमए पास इस महिला ने कड़कनाथ मुर्गे का 40 हजार से शुरू किया पालन तीन वर्ष में 10 लाख आमदनी। मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया का सहारा बिहार के अलावा दूसरे राज्य से भी आते ग्राहक।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 02:01 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 02:01 PM (IST)
पहले सबने बनाया हंसी का पात्र, कामयाबी मिलने के बाद मुशर्रफ बनीं प्रेरणा
पहले सबने बनाया हंसी का पात्र, कामयाबी मिलने के बाद मुशर्रफ बनीं प्रेरणा

मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्रा] । एमए की डिग्री। चार बच्चों की पढ़ाई का दबाव। इन सबके बीच कुढऩी प्रखंड की सुमेरा पंचायत की मुशर्रफ जहां ने कुछ अलग करने की कोशिश की। सरकारी कर्मी पति को विश्वास में लेकर तीन साल पहले कड़कनाथ प्रजाति के सौ चूजों से पालन शुरू किया। उच्च शिक्षा प्राप्त महिला को यह काम करते देख लोगों ने मजाक उड़ाया। मगर, उन्होंने परवाह नहीं की। उनकी मेहनत का नतीजा है कि मुर्गे, चूजे व अंडा बेच 10 लाख की आमदनी हो चुकी है। उनकी प्रेरणा से कई ने यह काम शुरू किया है।

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खाली बैठना अच्छा नहीं लगता था

बच्चों के बड़े होने पर मुशर्रफ को खाली बैठना अच्छा नहीं लगता था। पति मो. सकुल्लाह से बात कर घर के पास खाली जमीन पर कड़कनाथ प्रजाति के चूजों के पालन के बारे में जानकारी ली। मध्य प्रदेश से इसके चूजे मंगवा काम शुरू किया। यूट्यूब, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम आदि के माध्यम से प्रचार किया। छह माह बाद आमदनी शुरू हो गई। धीरे-धीरे काम बढऩे लगा। 40 ग्राम से अधिक वजन के अंडे हेचरी कंपनी को दे देती हैं। बदले में उसकी संख्या के 80 फीसद चूजे मिल जाते हैं। इससे मुर्गे व मुर्गियों की संख्या बढ़ती गई। वहीं, कम वजन वाले अंडे 20 से 25 रुपये में बिक जाते हैं। साल में एक मुर्गी डेढ़ से दो सौ अंडे देती है। सिर्फ अंडे ही बेचकर एक मुर्गी से तीन हजार रुपये तक की आमदनी हो सकती है। बड़ा होने पर एक मुर्गे की कीमत छह से आठ सौ रुपये होती है। अभी वह प्रतिमाह 25 से 30 हजार आमदनी कर रहीं। एक महिला को रोजगार भी दिया है।

लॉकडाउन में भी रही डिमांड

कड़कनाथ मुर्गे का पालन मूलरूप से मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के आदिवासी करते हैं। कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम व सेहत के लिए फायदेमंद होने के कारण इसकी डिमांड है। मुशर्रफ की मानें तो जहां लॉकडाउन में बॉयलर मुर्गे का धंधा चौपट हो गया, वहीं कड़कनाथ की बिक्री नहीं घटी। इसके अंडे की डिमांड रही। खरौना के राकेश चौधरी व चंदन के अलावा पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सारण, पटना जिले के दर्जनों लोगों ने उनकी प्रेरणा से इसका पालन शुरू किया है। डीडीसी उज्ज्वल कुमार सिंह ने कहा कि यह काम कोई भी महिला कर सकती है, जिसके पास थोड़ी सी जमीन हो। सामुदायिक रूप से भी इस व्यवसाय को किया जा सकता है। जिले में इसे बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई जाएगी। 


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