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आग लगी तो जाएगी जान, फायर ब्रिगेड लाचार

आग लगने पर आप अग्निशमन विभाग को नहीं भगवान को याद कीजिए। क्योंकि जिले में फायरब्रिगेड लाचार है और स्वयं समस्याओं की आग में जल रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 02:41 AM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 06:11 AM (IST)
आग लगी तो जाएगी जान, फायर ब्रिगेड लाचार
आग लगी तो जाएगी जान, फायर ब्रिगेड लाचार

मुजफ्फरपुर। आग लगने पर आप अग्निशमन विभाग को नहीं भगवान को याद कीजिए। क्योंकि जिले में फायरब्रिगेड लाचार है और स्वयं समस्याओं की आग में जल रहा है। जिले की 50 लाख की आबादी के साथ पांच लाख शहरवासियों की जान एवं उनकी वर्षो की कमाई दांव पर है। विभाग के पास प्रशिक्षित कर्मियों एवं संसाधनों का टोटा है। दस फायरमैन एवं दो चालकों के भरोसे फायर ब्रिगेड की 23 गाड़ियां हैं। हाइड्रोलिक सिस्टम नहीं है। तीन मंजिल से अधिक ऊंचे भवनों की आग बुझाने में विभाग अक्षम है। शहर में बहुमंजिली इमारतों बन रही हैं। माल-मार्केटों का जाल बिछता जा रहा है। इन भवनों में आग लगने पर भगवान ही मालिक है।

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बिजली पर निर्भर है पानी की उपलब्धता :

शहर के पूर्वी छोर पर बनारस बैंक चौक के समीप जिला अग्निशमन विभाग का खुला एवं जर्जर भवन है। यहां आग बुझाने वाली छह बड़ी एवं 17 छोटी गाड़ियां हैं। छोटी गाड़ियां जिले के चयनित थानों में तैनात है। लेकिन, चालक सिर्फ दो हैं। जरूरत पड़ने पर होमगार्ड की मदद से गाड़ियां का परिचालन होता है। केंद्र में एकमात्र फोन है। दस प्रशिक्षित कर्मचारी हैं और मदद को दो हवलदार। आपरेटर एक भी नहीं हैं। गाड़ियों के हिसाब से दो सौ से अधिक प्रशिक्षित फायरमैन की जरूरत है। गाड़ियों में न तो ईधन भरने की सुविधा है और न ही खराब होने पर मरम्मत की अपनी व्यवस्था। पानी के लिए कोर्ट कैंपस स्थित निगम के पंप हाउस पर निर्भरता है, वहां भी बिजली रहने पर। अन्यथा आग लगने पर उसे पानी की तलाश करनी पड़ती है। पतली गलियों में नहीं पहुंच सकतीं गाड़ियां शहरवासियों की लापरवाही भी बड़े हादसे का सबब बन सकती है। शहर की अधिकांश गलियां पतली हैं। जहां फायर बिग्रेड की गाड़ियां घटनास्थल तक चाह कर भी नहीं पहुंच सकती है। विभाग के पास उपलब्ध संसाधन - गाड़ियां : छह बड़ी व 17 छोटी

- चालक : दो

- प्रशिक्षित कर्मी : 10

- बहुमंजिले भवन पर पहुंच - 35 फीट

- फोन : एकमात्र

- ईधन भरने की सुविधा : नहीं

- गाड़ियों की मरम्मत की सुविधा : नहीं

- हाइड्रोलिक सिस्टम : एक भी नहीं

क्या है नियम :

- 50 हजार की आबादी पर एक फायर यूनिट व एक यूनिट में एक गाड़ी और छह फायर मैन हो।

- जगह एवं केंद्र की दूरी 8 से 10 मिनट के बीच हो।

- जिले में कई स्थानों पर गाडि़यां उपलब्ध हों ताकि सूचना मिलते ही उसे पहुंचाया जा सके। जरूरत है इन उपायों की :

- आग से खिलवाड़ मत करें, हमेशा सावधानी बरतें

- आग लगने के कारणों के प्रति हमेशा सजग रहें

- दुकानों में छोटे अग्निशमन यंत्र जरूर रखें

- बालू से भरी बाल्टी पर्याप्त मात्रा में रखें।

- बिजली के तारों के रखरखाव पर ध्यान दें।

- दुकान बंद करने से पूर्व बिजली का मेन स्वीच आफ करें

- दुकान में न स्वयं धूमपान करें और न ग्राहकों को करने दें।

- अगरबत्ती व मच्छर क्वायल को जलाकर रखने में सावधानी बरतें।

- ज्वलनशील पदार्थो के गोदाम धनी आबादी से दूर बनाए एवं सुरक्षा मानक का ख्याल रखें। अगलगी से बचाव की है कागजी तैयारी :

-- कल्याणी निवासी संजय कुमार गुप्ता कहते हैं कि अगलगी की घटनाओं से बचाव के नाम पर कागजी तैयारी की जाती है। ऐसे में लोगों को अपनी जान एवं माल दोनों गंवानी पड़ती है। -- बीबीगंज निवासी ब्रजेश कुमार कहते हैं कि आग लगने के बाद जब सबकुछ जलकर खाक हो जाता है तब फायर बिग्रेड की गाड़ियां आती हैं। जनता को विभाग की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं, लोगों को राहत चाहिए। आवासीय मोहल्लों में है गोदाम, खतरे में जान

शहर के आवासीय मोहल्लों में बड़ी संख्या में गोदाम बनाए गए हैं। कई गोदाम तो ज्वलनशील पदार्थो से भरे पड़े हैं। कई फैक्ट्रियां भी चल रही हैं। स्कूल एवं सिनेमा हाउसों के गेट पर पेट्रोल पंप चल रहे हैं। पटाखा मंडी भी शहर के बीचों-बीच है। बस एक चिंगारी और सब कुछ राख। जिला अग्निशमन पदाधिकारी एनके पांडेय ने कहा कि शहर की आबादी व जरूरतों के हिसाब से संसाधन नहीं हैं। उपलब्ध संसाधन के भरोसे विभाग के कर्मचारी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहे हैं। साधन के अभाव में समय पर नहीं पहुंचने पर आग के साथ-साथ लोगों के आक्रोश का भी सामना करना पड़ता है। लोगों को भी आग से सावधानी बरतनी चाहिए।


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