सेहत से खिलवाड़ : इकलौते चिकित्सक के भरोसे पांच लाख की आबादी
मुजफ्फरपुर। बेहतर चिकित्सा के सरकारी दावे को मोतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झूठला रहा है। इकलौते
मुजफ्फरपुर। बेहतर चिकित्सा के सरकारी दावे को मोतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झूठला रहा है। इकलौते चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी के भरोसे यह अस्पताल चल रहा है। हालांकि कुछ चिकित्सक प्रतिनियुक्ति पर यहां सेवा दे रहे हैं। कहने को इस अस्पताल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा तो मिल गया, लेकिन सुविधा न के बराबर है। आर्थिक रूप से कमजोर लोग ही यहा इलाज को आते हैं। कुत्ते व सर्पदंश की सूई की घोर किल्लत है। प्रतिदिन औसतन चार से पाच कुत्ते काटने के मरीज रेफर हो रहै है। अस्पताल में कार्यरत अधिकतर कर्मचारी अस्पताल के पास न रहकर मुजफ्फरपुर में रहते हैं। इस कारण विलंब से आना व समय से पहले निकलना इनकी आदत में शुमार हो गया है। इनदिनों ड्रेसर का काम कंपाउंडर देख रहे हैं। पड़ताल के दौरान अस्पताल की व्यवस्था की हकीकत सामने आई।
पांच लाख की आबादी निर्भर : प्रखंड की एक नगर पंचायत समेत 32 ग्राम पंचायत की पाच लाख की आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी इस अस्पताल पर है। यहा महज प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ही स्थायी तौर पर कार्यरत हैं। विडंबना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिलने के बाद भी अस्पताल एकल चिकित्सक के भरोसे है। अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के चार आयुष, एक डेंटल व एक एमबीबीएस चिकित्सक को डिपुटेशन में रखकर मरीजों का इलाज कराया जा रहा है। यहां प्रतिदिन 150 मरीजों की जाच कर निश्शुल्क दवा दी जाती है। अस्पताल में कुत्ता काटने, सर्पदंश की सूई व कान दर्द का दवा काफी दिनों से नहीं है। गुरुवार को कान दर्द से कराह रहे हरौना गांव के रघुनाथ पंडित इलाज को अस्पताल पहुंचे, लेकिन ओपीडी मे तैनात चिकित्सक रमेश सिंह ने यह कहते हुए उन्हें लौटा दिया कि कान में डालने वाला ड्राप नहीं है। इसके अलावा कुत्ते काटने सहित अन्य बीमारियों के कई मरीज दवा के अभाव में लौट गए।
सरकारी एंबुलेंस सेवा बंद : सरकार द्वारा मरीजों को निश्शुल्क अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए 102 एंबुलेंस सेवा गुरुवार को नहीं दिखी। मजबूरन मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस भाड़े पर लेकर घर जाना पड़ा। 102 एंबुलेंस सेवा बंद रहने से प्राइवेट एंबुलेंस चालकों की चांदी कट रही है। यहां एक्सरे सेवा भी कई माह से बंद है। इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कंपाउंडर के जिम्मे ड्रेसर का काम : ग्रामीणों ने जब ड्रेसर की खोज की तो वह नहीं मिले। ड्रेसर मुकुल प्रसाद वर्मा के बारे में बताया गया कि वह सप्ताह में एक से दो दिन ही अस्पताल आते हैं। उनका काम कंपाउंडर सुरेश प्रसाद देखते हैं। पैर की डेसिंग कराने पहुंचे साढाडंबर गांव के कृष्ण मोहन प्रसाद यादव आधा घंटे इंतजार करने के बाद कोई ड्रेसर नहीं पहुंचा तो उन्होंने खुद ड्रेसिंग की।
कर्मियों की मनमानी कार्यशैली :
30 बेड वाले इस अस्पताल का भवन तो चकाचक जरूर है, लेकिन अधिकतर कर्मी बाहर से ही आते हैं। 9 बजे लेट नहीं तीन बजे भेंट नहीं की तर्ज पर ये कर्मी काम कर रहे हैं। श्वेता रानी, आलोक कुमार, विनोद कुमार आदि डॉक्टर व कर्मी बाहर से ही यहां आते हैं। कुछ लोग तो 50 किलोमीटर दूरी तय कर अस्पताल आते हैं। अस्पताल में चिकित्सक समेत 120 कर्मी कार्यरत हैं। लेटलतीफ व बाहर से आनेवाले कर्मियों पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का कोई नियंत्रण नहीं है।
एजेंसी के जिम्मे सफाई व्यवस्था: अस्पताल में सफाई एजेसी के माध्यम से होती है। इसके लिए पाच सफाई कर्मी नियुक्त हैं। अस्पताल की समुचित रूप से सफाई नहीं होती है। कचरे को बाहर फेंकने की बजाए अस्पताल परिसर में ही फेंका जाता है। अस्पताल में आठ शौचालय है, लेकिन उसकी सफाई नियमित तौर पर नहीं होने से मरीजों को परेशानी होती है। अस्पताल का कैंटीन भी एजेंसी के जिम्मे है। यहां भर्ती गर्भवती महिलाओं को मेनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता।
फेंकी मिलीं स्लाइन की बोतलें : अस्पताल परिसर में स्लाइन की दर्जनों बोतलें फेंकी हुई मिलीं। किसी के पास इसका कोई जवाब नहीं था कि यहां क्यों फेंकी गई।
अस्पताल में अराजक माहौल :नगर पंचायत उपाध्यक्ष मनीष कुमार ने बताया कि अस्पताल में अराजकता की स्थिति है। साधारण मरीजों को भी रेफर कर दिया जाता है। रात्रि में अधिकतर कर्मी गायब रहते हैं। प्रखंड प्रमुख पूनम गुप्ता ने अस्पताल की कुव्यवस्था के लिए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दोषी बताया। कर्मियों से आये दिन विवाद होता रहता है। जबतक उनका तबादला नहीं होगा अस्पताल में सुधार संभव नहीं। भाजपा नेता अरुण सिंह ने अस्पताल में वर्षो से जमे कर्मियों के तबादले की माग की है। विधायक नंदकुमार राय ने बताया कि चिकित्सकों की तैनाती को लेकर उन्होंने सदन में सवाल रखा था, लेकिन अबतक चिकित्सकों की तैनाती नहीं हुई है। लचर स्वास्थ्य सेवा को सुधारने में सरकार निरंकुश बनी हुई है।
मोतीपुर, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ ़ राधेश्याम सिंह ने बताया कि
चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए कई बार सीएस को पत्राचार किया गया, लेकिन स्थिति यथावत है। ड्यूटी में लापरवाह कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।