एईएस से मरने वाले बच्चों के सामाजिक सर्वे में भी फर्जीवाड़ा Muzaffarpur News
सर्वे में जिन परिवारों को राशन कार्ड नहीं होने की बात कही गई जांच में उनके पास पाए गए। सर्वे की टीम ने टेबल रिपोर्टिंग करते हुए राशन कार्ड कॉलम में लगातार नो-नोÓ ही भर दिया।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रॉम) से बच्चों के पीडि़त होने के कारणों की पड़ताल के दौरान किए गए सामाजिक सर्वे में फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसकी रिपोर्ट में एईएस से मरने वाले जिन बच्चों के परिवार को राशन कार्ड नहीं होने की बात कही गई थी, विभाग की जांच में कई के पास राशन कार्ड मिले। इतना ही नहीं, इन कार्ड पर राशन का उठाव भी दिखाया गया है। इससे इतने गंभीर मामले के सर्वे में भी लापरवाही बरतने के बाद सवाल उठने लगे हैं।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एईएस पीडि़त बच्चों के सामाजिक सर्वे का निर्देश दिया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने जीविका की मदद से यह सर्वे कराया।
दफ्तर में बैठकर रिपोर्ट तैयार करने का उदाहरण
कटरा स्थित नगवारा के फैयाज की एईएस से मौत हो गई थी। सर्वे रिपोर्ट में उसके परिवार में राशन कार्ड नहीं होने का जिक्र है। जबकि सालाना 70 हजार वार्षिक आय वाले इस परिवार का राशन कार्ड बना है। आपूर्ति विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इसपर राशन का उठाव भी किया गया है। इसी तरह डीहजावर (औराई) के आदित्य कुमार के परिवार की सर्वे रिपोर्ट की भी यही स्थिति है। हालांकि, 95 बच्चों की जांच रिपोर्ट में अभी कई अप्राप्त हैं। मगर, ऐसे दर्जनभर नाम हैं जिसके परिवार में राशन कार्ड है। मगर, सर्वे में इन सभी 95 परिवार के यहां कार्ड नहीं होने की बात कही गई थी। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा कि सर्वे टीम गांवों में ना जाकर दफ्तर में ही रिपोर्ट तैयार कर दी।
रिपोर्ट के झूठ को उजागर करते ये साक्ष्य
अयान की मौत एईएस से हो गई थी। सर्वे टीम की रिपोर्ट में इस परिवार को राशन कार्ड नहीं होना बताया गया। जांच में पता चला कि अयान अपने ननिहाल आया था। मगर, सर्वे में यह बात सामने नहीं आई। इसी तरह के कई बच्चों के बारे में यह नहीं बताया गया कि वे बाहर से यहां आए थे। वहीं मोतीपुर की मुनिका कुमारी (पिता-दिनेश पंडित) के परिवार को भी राशन कार्ड नहीं होने का जिक्र है। जबकि विभाग की रिपोर्ट में दिनेश पंडित नाम का आदमी प्रखंड के बखरा गांव में नहीं मिला।
उठ रहे ये सवाल
आपूर्ति विभाग की रिपोर्ट में साक्ष्य के रूप में राशन कार्ड संख्या दी गई है। इससे विभाग की रिपोर्ट प्रमाणिक लग रही। जबकि सर्वे रिपोर्ट में एक लाइन से राशन कार्ड कॉलम में 'नो-नोÓ लिख दिया गया है। विभाग ने भी रिपोर्ट में कई परिवार को राशन कार्ड नहीं होने की बात स्वीकारी है। मगर, सर्वे की रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा दिख रहा।