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मुजफ्फरपुर में प्रकृति की मार और सरकारी उपेक्षा से किसान बेहाल

सरकारी उपेक्षा व प्रकृति की बेरुखी से जिले के किसान पूरी तरह बेहाल हो गए हैं। स्थिति यह है कि जिले में अभी तक मात्र 20 से 25 फीसद खेतों में धान की रोपनी हो पाई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 03:30 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 03:30 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में प्रकृति की मार और सरकारी उपेक्षा से किसान बेहाल
मुजफ्फरपुर में प्रकृति की मार और सरकारी उपेक्षा से किसान बेहाल

मुजफ्फरपुर। सरकारी उपेक्षा व प्रकृति की बेरुखी से जिले के किसान पूरी तरह बेहाल हो गए हैं। स्थिति यह है कि जिले में अभी तक मात्र 20 से 25 फीसद खेतों में धान की रोपनी हो पाई है। अधिसंख्यक किसान पूंजी व विपरीत मौसम से धान का बिचड़ा अभी तक नहीं लगा पाए हैं। बीते दिनों तूफान व असमय बाढ़ से फसलों की हुई बड़े पैमाने पर बर्बादी ने किसानों का कमर तोड़ दी है। आज उन्हें खरीफ की खेती के लिए सरकारी सहायता की आवश्यकता है। इस मामले में सरकार का रवैया पूरी तरह उदासीन है। अब किसानों को संगठित होकर हक हकूक के लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा। उक्त बातें काटी क्षेत्र के ढेमहा गाव में किसानों की बैठक में पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहीं।

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उन्होंने कहा कि अखबारों में फसल क्षति का आकलन कराने की घोषणा सरकार की ओर से हो रही है, लेकिन यह कागज पर ही सिमट कर रह गई है। कहा कि थर्मल पावर के इर्द-गिर्द सरकार कई सरकारी परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई कर रही है। अधिकारी किसानों की जमीन ओने-पौने भाव में लेना चाहते हैं। अधिकारी किसानों की बात नहीं सुन रहे हैं। कहा कि जिलाधिकारी इन मामलों पर तुरंत संज्ञान लें और किसानों को उनका वाजिब हक मिल सके। अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता शैलेंद्र चौधरी ने की। मौके पर किसान प्रतिनिधि सुबोध चौधरी, गुड्डू चौधरी, अशोक चौधरी, मनोज चौधरी, मुरारी झा, विवेक रंजन, विनोद सिंह, अमलेश सिंह, पारसनाथ सिंह, मनोज शर्मा, बलिराम सिंह, रामबालक सिंह, गरीब नाथ सिंह, श्रीनारायण सिंह, भैरव पाडे, सुजीत कुमार सिंह आदि थे।


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