किसान बोल रहे गन्ना, ना बाबा ना... , जानिए बिचौलियों का खेल
गन्ना ना बाबा ना... इस बार गन्ने की खेती नहीं करेंगे शिवहर के किसान शिवहर के किसानों का गन्ने की खेती से मोहभंग रीगा चीनी मिल बंद होने के चलते सैकड़ों एकड़ में लगी गन्ने की फसल बर्बाद बिचौलियों के हाथ गन्ना बेचने को विवश हैं इलाके के किसान
शिवहर, जासं । कभी नगदी फसल के रूप में गन्ना, इलाके के किसानों की जिंदगी में मिठास भरती थी। लेकिन शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की बेपरवाही के चलते इस बार रीगा चीनी मिल के बंद होने से किसानों की जिंदगी में गन्ने ने खटास भर दी है। हालत यह हैं कि शिवहर के किसानों ने गन्ने की खेती से तौबा कर ली है। इलाके में 15 फरवरी से बसंतकालीन गन्ने की खेती शुरू होती है। लेकिन इस बार किसान जहां खेतों में खराब हो रही गन्ने की फसल काटकर फेंक रहे है, वहीं दूसरी फसल के लिए खेत तैयार कर रहे है। किसानों का कहना हैं कि इस बार गन्ने की फसल बर्बाद हो गई। लिहाजा अगली बार इलाके के किसान गन्ना की खेती नहीं करेंगे। अब किसान गन्ने का विकल्प तलाश रहे है। बताते चलें कि, इलाके में वृहद पैमाने पर गन्ने की खेती होती रही है। बाढ़ और सूखे के बीच पीसते किसानों के लिए गन्ना संजीवनी साबित होता रहा है। इलाके के किसान खेत से गन्ना का उत्पादन कर पड़ोसी जिला सीतामढ़ी के रीगा स्थित चीनी मिल को बेचते रहे है। लेकिन, इस बार गन्ने का बकाया भुगतान को लेकर किसानों के कड़े तेवर और मिल प्रबंधन के साथ मजदूरों के टकराव के चलते रीगा चीनी मिल ने इस बार मिल चलाने से हाथ खड़े कर दिए।
13 जनवरी को ईंखायुक्त बिहार ने रीगा चीनी मिल प्रक्षेत्र की तमाम गन्ना गोपालगंज, मझौलिया और सिधवलिया चीनी मिल को आवंटित कर दी। वहीं शिवहर में चार और सीतामढ़ी में 15 समेत 19 क्रय केंद्र खोलने का निर्देश तीनों चीनी मिल को दिया।ईंखायुक्त ने किसानों के गन्ना मद की राशि सरकारी दर पर एक सप्ताह के भीतर बैंक खाते के माध्यम से भुगतान करने का निर्देश दिया था। लेकिन, उक्त चीनी मिल द्वारा कही भी क्रय केंद्र नहीं खोला जा सका है। दूसरी ओर शिवहर में आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर बिचौलियों द्वारा अवैध क्रय केंद्र खोल कर किसानों से सरकार द्वारा तय कीमत से आधी कीमत पर गन्ने की खरीदारी की जा रही है। बिचौलियों द्वारा गन्ना खराब होने का झांसा देकर और नकद भुगतान कर गन्ने की खरीदारी की जा रही है। उक्त चीनी मिलों द्वारा क्रय केंद्र खोले जाने के इंतजार में खेतों में लगी गन्ना बर्बाद हो रही है। लिहाजा, किसान औने-पौने के दाम गन्ना बेचने को मजबूर है।
इधर, अगली बार रीगा चीनी मिल चलेगा या नहीं, इस पर सवाल बरकरार है। उहापोह में फंसे किसानों की हिम्मत दगा दे गई है। लिहाजा, इलाके के किसान अब गन्ने की खेती से तौबा करने के मूड में है। कुअमा के किसान फुलगेन प्रसाद, जितेंद्र सिंह, रामनिवास सिंह व विजय कुमार सिंह बताते हैं कि, सरकार को चीनी मिल चालू कराना चाहिए। अगर मिल चालू नहीं होता हैं तो गन्ने की खेती करने से क्या फायदा। बताते हैं कि, अब वे गन्ने की खेती का विकल्प तलाश रहे है।