बीमार खेतों का इलाज नहीं कर सका कृषि विभाग, नहीं मिला स्वायल कार्ड
पिछले सत्र के ही 5430 मिट्टी के नमूने की जांच अभी लंबित, कुढऩी प्रखंड में एक भी किसान को नहीं मिला मृदा स्वास्थ्य कार्ड।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। रबी फसलों की बुआई का सीजन भी गुजर गया लेकिन, किसानों को अपने बीमार खेतों के इलाज के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड नहीं मिल सका। जबकि, जलवायु परिवर्तन के कारण खेतों की स्थिति खराब होती जा रही है। मानक के अनुपात में फसलों का उत्पादन नहीं हो पा रहा। स्थिति यह है कि विगत तीन साल में 166370 स्वाएल हेल्थ कार्ड बनाने का लक्ष्य था। लेकिन, अभी तक मात्र 83864 मिट्टी नमूनों की जांच हो पाई।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष वीरेंद्र राय का कहना है कि मौजूदा समय में खेतों में बीज रोपण के साथ पौधों में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का प्रकोप फैलने लगता है। उदाहरण के लिए गेहूं में पीलिया रोग व आलू में झुलसा रोग आदि पनपना है। अगर किसानों को मिट्टी जांच के नमूने पर जांच रिपोर्ट समय पर मिल जाता। तो किसानों द्वारा रिपोर्ट के आधार पर अपनी खेती की तैयारी की जाती।
प्रगतिशील किसान एवं जिला जदयू किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष संतोष कुमार का कहना है कि रबी की बुआई होने पर ही प्रखंड वार स्वायल कार्ड का वितरण होना चाहिए। हालत यह है कि उनके कुढऩी प्रखंड में 2694 स्वायल कार्ड वितरण का लक्ष्य था। लैब में 1580 नमूने प्राप्त हुए। लेकिन, किसी किसान को स्वायल हेल्थ कार्ड नहीं मिला।
स्थिति यह भी है कि पिछले साल के अवशेष लक्ष्य की भी प्रयोगशाला में जांच नहीं हुई। जबकि, हेल्थ कार्ड मिल जाना चाहिए। मुशहरी लैब के प्रभारी मो. इस्माइल ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने और वितरण के कार्य में तेजी लाई जाएगी। कर्मियों की लैब में कमी पूरी करने के लिए सरकार से अनुरोध किया गया है।