मशरूम की खेती व उत्पाद ने बना दिया राजू को मशहूर, मेहनत के साथ कदम चूमने लगी सफलता
मशरूम से बनाते शिशु आहार, अचार और भुजिया, कई किसान उनसे प्रेरित होकर परंपरागत खेती छोड़ इसमें लग गए।
सीतामढ़ी, [दिनेश कुमार]। परंपरागत खेती छोड़ी। वैज्ञानिक रास्ता अपनाया। शुरू कर दी नकदी फसल की खेती। फिर तो मेहनत के साथ सफलता कदम चूमने लगी। आज दर्जनों किसानों की प्रेरणा हैं केके तिवारी उर्फ राजू। वे मशरूम की खेती और उसके उत्पाद से मशहूर होने के साथ कई पुरस्कार पा चुके हैं। बोखड़ा प्रखंड के उखड़ा गांव निवासी प्रगतिशील किसान राजू पहले व्यवसायी थे। वर्ष 2010 में उनका ध्यान मशरूम उत्पाद की ओर गया। इसकी जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र से ली। फिर 200 स्क्वायर फीट में मशरूम की खेती शुरू की। मेहनत के चलते अच्छी सफलता मिली।
धीरे-धीरे प्रति महीने चार क्विंटल मशरूम का उत्पादन होने लगा। व्यवसायी होने के चलते उनका ध्यान मशरूम के उत्पाद बनाने की ओर गया। वर्ष 2012 में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र से इसका प्रशिक्षण लिया। फिर मशरूम से शिशु आहार, अचार और भुजिया बनाने लगे। उनका यह आइडिया चल निकला। शिशु आहार को उन्होंने वर्ष 2015 में पूसा में आयोजित किसान मेले में पेश किया। वहां काफी प्रशंसा हुई।
वे शिशु आहार बनाने के लिए मशरूम, चावल, गाजर, दूध, चना और चीनी के पाउडर का इस्तेमाल करते हैं। अपने उत्पाद की बिक्री राज्य और देश में लगने वाले कृषि मेले में करते हैं। घर से भी उनके उत्पाद की बिक्री होती है। इससे सालाना तकरीबन चार लाख की आमदनी कर रहे हैं।
सब्जी और औषधीय पौधों की नर्सरी
राजू ने 10 कट्ठा में सब्जी और औषधीय पौधों की आधुनिक नर्सरी भी बना रखी है। इसमें वे मशरूम के वेस्ट से बनी कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल करते हैं। ड्रीप और स्प्रिंकलर सिंचाई विधि के साथ ट्रे में पौधे तैयार कर बेचते हैं। इसकी काफी मांग है। इससे भी वे अच्छी-खासी आमदनी कर रहे। क्षेत्र के दर्जनों किसानों को उन्होंने मशरूम की खेती के साथ नर्सरी बनाने की विधि सिखाई है।
ये मिले पुरस्कार
कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि, पूसा ने 26 जनवरी 2016 को राजू को अभिनव किसान पुरस्कार से पुरस्कृत किया। मशरूम के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए गांधी स्मृति संस्थान राजघाट, नई दिल्ली से पुरस्कृत हो चुके हैं। जिले के प्रभारी मंत्री सुरेश शर्मा भी सम्मानित कर चुके हैं।
किसान शंभू प्रसाद सहनी, पूर्व मुखिया सीताराम राय, शादिक साह व मुखिया निजामुद्दीन उर्फ नूर आदि उनसे प्रेरित होकर मशरूम उत्पादन कर रहे हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक मनोहर पंजीकार का कहना है कि राजू इलाके के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके मशरूम से बने उत्पाद की लोग प्रशंसा कर रहे। कृषि विज्ञान केंद्र सीतामढ़ी के प्रधान कृषि वैज्ञानिक राम ईश्वर प्रसाद ने कहा कि राजू ने मशरूम आधारित उत्पाद से देश स्तर पर इलाके की पहचान बनाई है। वे किसानों को मशरूम की खेती की जानकारी देते हैं। उनकी पहल सराहनीय है।