बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में एक करोड़ रुपये मनमाना वेतन उठाव का 'खेल' उजागर
वित्त विभाग व ऑडिट की आपत्तियों को किया दरकिनार दबंग कर्मियों के सामने मौन रहा विवि प्रशासन। वेतन निर्धारण प्रक्रिया में मामला आया सामने विवि में मचा हड़कंप।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में दो दर्जन से अधिक कर्मियों द्वारा विवि प्रशासन पर दबाव डालकर मनमाना वेतन उठाने का मामला उजागर हुआ है। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने में वेतन का हिसाब-किताब तैयार करने के क्रम में उपरोक्त मामला सामने आया है। बताया गया कि इन दबंग कर्मियों का 'खेलÓ वर्षों से चल रहा था। हालांकि, सरकार के संज्ञान में पूर्व से मामला है। इस पर वित्त विभाग ने लगातार आपत्ति उठाई है। यही नहीं आडिट रिपोर्ट में भी इस पर सवाल उठे लेकिन सब नक्कारखाने में तूती की आवाज बन कर रह गई। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि कर्मियों की मिलीभगत से जूनियर क्लर्क सीनियर क्लर्क, सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के ग्रेड स्लैब का वेतन उठा रहे थे। यहां वर्षों से सरकार के वेतन निर्धारण के समानांतर कर्मियों का अपना वेतन निर्धारण चल रहा था। सालाना एक करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया जा रहा है।
कर्मियों में मची खलबली
गुरुवार को सातवां वेतन आयोग के अनुसार विवि कर्मियों एवं प्रोफेसरों के वेतन निर्धारण को लेकर बैठक में यह मामला आया। तब सरकार द्वारा निर्धारित वेतनमान के अनुसार ही प्रत्येक ग्रेड का वेतन तय होने की बात हुई। इस पर उन कर्मियों ने आपत्ति भी की। इन कर्मियों में रोष इस बात का है कि सरकार को भेजी जाने वाली सूची में वे गड़बड़ी नहीं करा पा रहे हैं। बैठक में गैर शिक्षक में तृतीय वर्ग, चतुर्थ वर्ग, शिक्षक श्रेणी और पेंशन भोगी तीनों के लिए कमेटी बनी है।
दस दिन में मांगी रिपोर्ट
कुलसचिव कर्नल अजय कुमार राय ने सभी पीजी विभागों के अध्यक्ष, अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्य को शिक्षा विभाग के निर्देश का हवाला देते हुए एक अनुरोध पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है मार्च माह का वेतन विवि शिक्षक व गैर शिक्षकों में प्रत्येक का अलग अलग निर्धारित प्रारूप में भेजा जाए। यह प्रतिवेदन 18 अप्रैल को जारी पत्र के आलोक में 10 दिन के भीतर दिया जाए। कहा कि अब विवि के हर वर्ग का वेतन सरकार द्वारा जारी किया जाएगा। वित्त विभाग कामप्रीहेंसिव फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफएमएस) से चलेगा।