बिहार में नरभक्षी बाघ को बेहोश करने के लिए पहुंचे एक्सपर्ट, रणनीति तैयार
West Champaran news राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज एवं ट्रेंक्यूलाइजर एक्सपर्ट नवाब शपथ अली खान पहुंचे मैनाहां अगले 48 घंटे अहम। पटना चिड़ियाघर से आधा दर्जन विशेषज्ञों की टीम भी कर रही कैम्प बाघ की हर गतिविधि पर नजर।
पश्चिम चंपारण (हरनाटांड़), जासं। आतंक का पर्याय बन चुके नरभक्षी बाघ की उम्र महज ढाई से तीन साल के बीच है। वह अपना क्षेत्र विकसित करने की कोशिश कर रहा है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में क्षमता के अनुरूप बाघों की संख्या पूर्व से ही थी। इसलिए इस युवा बाघ को जंगल में स्थायी ठिकाना नहीं मिल रहा है। यहीं कारण है कि वह बार बार जंगल से निकलकर शिकार की तलाश में रिहायशी क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि यह जरूरी नहीं है कि बाघ को ट्रेंक्यूलाइज करने बाद चिड़ियाघर में ही शिफ्ट किया जाए।
राष्ट्रीय वन्य प्राणी संरक्षण प्रभाग के आला अधिकारियों के दिशा निर्देश के अनुसार इस बाघ को किसी दूसरे टाइगर रिजर्व में भी शिफ्ट किया जा सकता है। जहां इसे शिकार को लेकर जंगल से बाहर नहीं निकलना पड़ेगा। उधर बाघ का लोकेशन लेने और उसे ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए विशेषज्ञों की टीम पटना से मैनाहां पहुंच चुकी है। इसमें पटना चिड़ियाघर के आधा दर्जन कर्मचारी भी शामिल हैं। जबकि ट्रेंक्यूलाइज एक्सपर्ट हैदराबाद के अचूक निशानेबाज और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए लंबे समय से काम कर रहे नवाब शपथ अली खान भी मैनाहां पहुंचे हैं। बाघ को ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए उसका पल पल लोकेशन लिया जा रहा है। वन अधिकारियों ने दावा किया है कि अगले 48 घंटे में इसे ट्रेंक्यूलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया जाएगा।
वार्डन श्री गुप्ता ने बताया कि इस बाघ को ट्रंक्यूलाइज करने के बाद वरीय अधिकारियों के दिशा निर्देशन में शिफ्ट करने की प्रकिया शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का आदर्श माहौल और अनुकूल परिस्थितियां बाघों की संख्या बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुए हैं। वीटीआर वर्ष 2018 में 31 बाघ थें, जो अब बढ़कर 49 हो गए हैं। इनमें नौ शावक शामिल हैं। जब ये शावक बड़े होंगे तो निश्चित रूप से अधिवास क्षेत्र को लेकर स्थिति विकट हो जाएगी। इन सभी परिस्थितियों पर वन अधिकारी नजर बनाए हुए हैं। भविष्य को लेकर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। ताकि फिलहाल जो स्थितियां बनी है, इसकी पुनरावृत्ति ना हो। रिज़र्व में क्षमता अनुसार बाघ पहले से ही मौजूद हैं। इसलिए वन विभाग भविष्य को लेकर कार्य योजना तैयार कर रहा है।
सुअर व बकरी का बाघ ने बनाया
करीब एक सप्ताह से वनकर्मियों को छका रहा नरभक्षी बाघ तीन दिनों से चिउटाहां वन क्षेत्र के जिमरी मैनाहां गांव के सरेह में डेरा जमाए हुए है। नरभक्षी बाघ को पकड़ने में फेल हुए वीटीआर के अधिकारी व कर्मी तो राजधानी से आई स्पेशल टीम बाघ को पकड़ने के लिए पहुंची हुई है। जिसमें चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन प्रभात कुमार गुप्ता के नेतृत्व में, वेटनरी चिकित्सक समरेंद्र कुमार, ट्रेंक्यूलाइज एक्सपर्ट शूटर नवाब शपथ अली खान, इकोलॉजी डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह आदि शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को बाघ ने धान के खेतों में पहुंचकर सुअर व बकरी शिकार किया है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रविवार की देर रात बाघ चहलकदमी करते धान के खेतों मे पहुंच सुअर व बकरी पर हमला कर मार डाला है। इससे यह पता चल रहा है कि बाघ शाम होते ही सरेहों मे आ चहलकदमी शुर कर दे रहा है।हालांकि उसने शिकार नहीं किया है। आशा है कि बाघ अपने शिकार की तलाश में जरूर आएगा। इसी को देखते हुए मौजूद सभी अधिकारी रेस्क्यू टीम बाघ की रेस्क्यू करने के लिए अलर्ट कर दिया गया है। एक्सपर्ट की टीम भी हाइ अलर्ट पर है।
यहां बता दें कि सोमवार को बगहा एसपी किरण कुमार गोरख जाधव व एसडीएम दीपक कुमार मिश्रा भी मैनाहां पहुंच रेस्क्यू टीम से मिलें और सुरक्षा का पूरा आश्वासन दिया। इस दौरान वार्डन श्री गुप्ता ने आग्रह किया कि ग्रामीणों में जागरूकता लाई जाए कि वे सरेह में अकेले न जाएं। अगर ज्यादा जरूरी हो तो वे समूह में जाएं। साथ ही उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं ग्रामीणों से मिलकर इस बात के लिए जागरूक करें। इस दौरान सीएफ डॉ. नेशमणि के. वन प्रमंडल दो के डीएफओ डॉ. नीरज नारायण, एक डीएफओ प्रद्युम्न गौरव, वन प्रमंडल बेतिया के डीएफओ सुनील शरण के साथ कई रेंजर के रेंजर व सैकड़ों वनकर्मी तथा पुलिस टीम भी मौजूद रही।