पूर्व मेयर की बहू की बेची जमीन पर बना चार मंजिला मकान होगा जब्त
इस्लामपुर मोहल्ला में पर्चे की जमीन पर बने चार मंजिला मकान को सरकारी कब्जे में लेने का आदेश दिया गया है।
मुजफ्फरपुर। इस्लामपुर मोहल्ला में पर्चे की जमीन पर बने चार मंजिला मकान को सरकारी कब्जे में लेने का आदेश दिया गया है। विभाग के निर्देश पर अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी ने मुशहरी सीओ नागेंद्र कुमार को मकान अविलंब जब्त कर रिपोर्ट देने को कहा है। यह जमीन पूर्व मेयर विमला देवी तुलस्यान की बहू सुनीता देवी तुलस्यान के नाम से थी। बाद में उन्होंने इसे सविता रस्तोगी के हाथों बेच दिया।
मालूम हो कि महेश महतो ने अपर समाहर्ता के न्यायालय में मामला दायर किया था। इसमें कहा गया था कि सुनीता देवी ने इस्लामपुर मोहल्ला की बासगीत पर्चा के लिए दी गई 11 धूर जमीन खरीद कर अपने नाम जमाबंदी करा ली है। सुनवाई के बाद अपर समाहर्ता ने खाता संख्या 304 व खेसरा संख्या 112, 107, 110 व 111 की जमीन की जमाबंदी रद कर दी। साथ ही जमीन को मकान समेत कब्जा में लेने के आदेश दिया। मगर, इस आदेश का अनुपालन नहीं हुआ। इसके बाद महेश महतो ने पटना उच्च न्यायालय में परिवाद दायर किया। न्यायालय ने छह माह में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। मगर, पटना न्यायालय का यह आदेश भी समय से पूरा नहीं किया गया। अब राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने इस आदेश के अनुपालन के लिए डीएम को पत्र लिखा। इसके बाद मकान व जमीन को कब्जा में लेने का आदेश दिया गया।
इस मामले में यह बात भी सामने आई कि मकान बनाने के लिए नगर निगम से नक्शा पास नहीं कराया गया था। सूचना के अधिकार से मांगी गई जानकारी में निगम की ओर से बताया गया कि उक्त जमीन पर किसी तरह का नक्शा पास नहीं किया गया है।
कई बार बिकी जमीन
अनुसूचित जाति के हरिहर मल्लिक के नाम के पर्चा की जमीन को पावर ऑफ अटार्नी के माध्यम से खरीद लिया गया। इसके बाद मुशहरी के पूर्व सीओ नवीन भूषण ने जमीन की जमाबंदी कर दी। इसके बाद सुनीता तुलस्यान ने जमीन सविता रस्तोगी को बेच दी। इसके बाद यहां फिर से चार मंजिला मकान का निर्माण किया गया। दो वर्ष पूर्व महज 11 धूर जमीन को तीन करोड़ 60 लाख रुपये में बेचा गया था।
फाइलों में ही दब जाते आदेश
जिले में खासमहाल, सरकारी व न्यास बोर्ड की जमीन पर कब्जे से कई मामले दबा दिए गए हैं। अरबों की इस जमीन पर कब्जा कर मकान व अन्य निर्माण कर लिया गया है। इन मामलों में सरकार व पूर्व डीएम के आदेश के बाद भी अनुपालन नहीं किया गया। इतना ही नहीं आदेश के बाद यहां निर्माण कार्य भी प्रशासन की नाक के नीचे चलता रहा। इस कारण यहां अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
अपर समाहर्ता न्यायालय ने बिना पक्ष सुने फैसला दिया। इसे समाहर्ता के कोर्ट में चुनौती दी गई है। वहीं पूर्व में सभी कागजात के सही होने पर ही जमीन की खरीद की गई थी। किसी तरह की गड़बड़ी नहीं की गई है।'
- राजीव कुमार तुलस्यान (पूर्व मेयर के पुत्र)