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सबके संकल्प से मिटेगा निरक्षरता का कलंक

साक्षरता के लिए लाखों खर्च, फिर भी जिले में दो लाख निरक्षर। निरक्षरता का दाग मिटाने के लिए आवश्यक है कि पढ़े-लिखे लोग आगे आएं और समाज के इस कलंक को मिटाने में अपनी भूमिका निभाएं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 11:11 AM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 11:11 AM (IST)
सबके संकल्प से मिटेगा निरक्षरता का कलंक
सबके संकल्प से मिटेगा निरक्षरता का कलंक

मुजफ्फरपुर। साक्षरता के लिए लाखों खर्च, फिर भी जिले में दो लाख निरक्षर। निरक्षरता का दाग मिटाने के लिए आवश्यक है कि पढ़े-लिखे लोग आगे आएं और समाज के इस कलंक को मिटाने में अपनी भूमिका निभाएं। शिक्षक भी अपनी जवाबदेही समझें और ईमानदारी से कदमताल करें। सरकार के तंत्र की कमियों को दूर कर चुस्त बनाना भी आवश्यक है।

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सरकार का सपना है-'सब पढ़ें, सब बढ़ें' मगर इसके लिये व्यवस्था सुदृढ़ बनानी होगी। अधिकतर स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। कुछ स्कूलों में शिक्षक समय पर नहीं आते। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम। रजिस्टर पर नामांकित और स्कूल में मौजूद बच्चों की संख्या में अंतर। शिक्षकों की पीड़ा भी कम नहीं है- कभी समय पर वेतन नहीं मिलता तो कभी उनसे अतिरिक्त कार्य कराए जाते। इसका असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। शिक्षक मनोज कुमार की मानें तो शिक्षा में गिरावट आई है, लेकिन इसके लिये किसी एक को दोषी ठहराना उचित नहीं।

साक्षरता में महिलाएं पुरुषों से पीछे : 2011 की रिपोर्ट के अनुसार जिले का साक्षरता प्रतिशत 63.43 है। इसमें महिलाएं पुरुषों से काफी पीछे हैं। पुरुषों का साक्षरता प्रतिशत 72.28। वहीं 54.67 फीसद महिलाएं ही साक्षर। विशेषज्ञों की मानें तो साक्षरता की गति धीमी है। जिले में साक्षरता दर को बढ़ाने के लिए अक्षर आंचल योजना चल रही है।

लाखों खर्च फिर भी नहीं मिटा निरक्षरता का दाग : निरक्षरों को साक्षर करने के लिए जिले में तालीमी मरकज, उत्थान केंद्र, साक्षर भारत जैसी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उत्थान केंद्रों की संख्या 403 व तालीमी मरकज 229 हैं। तालीमी मरकज केंद्रों पर अल्पसंख्यक समुदाय के 15 से 45 वर्ष के निरक्षर को साक्षर किया जाता है। वहीं उत्थान केंद्रों पर महादलित समुदाय की महिला व पुरुष को पढ़ाया जाता है। जबकि, साक्षर भारत के तहत 15 से 45 वर्ष की महिला व पुरुष को साक्षर बनाया जाता है। वर्तमान में साक्षर भारत योजना को बंद कर दिया गया है। इन योजनाओं के बावजूद जिले में निरक्षरों की संख्या दो लाख के करीब है। जिला शिक्षा अधिकारी, ललन प्रसाद सिंह ने कहा कि -'निरक्षरता को दूर करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। कई केंद्र चल रहे हैं। इससे निरक्षरों की संख्या घटी है। केंद्र पर पढ़नेवालों के लिए महासाक्षरता परीक्षा आयोजित होती है। परीक्षा पास करने पर प्रमाण पत्र भी दिया जाता है।


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