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अब भी रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं तो यह व्यवसाय आपको कम समय में बना सकता है लखपति, जानिए विशेषज्ञ क्या कह रहे

रंगीन सजावटी मछलियों का व्यवसाय बन सकता है अच्छी आमदनी का स्रोत। रोजगार की तलाश कर रहे लोगों के लिए रंगीन मछली घर (एक्वेरियम) का निर्माण अच्छी आय का श्रोत हो सकता है।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 09:20 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 09:20 AM (IST)
अब भी रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं तो यह व्यवसाय आपको कम समय में बना सकता है लखपति, जानिए विशेषज्ञ क्या कह रहे
अब भी रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं तो यह व्यवसाय आपको कम समय में बना सकता है लखपति, जानिए विशेषज्ञ क्या कह रहे

समस्तीपुर, [पूर्णेंदु कुमार]। अन्य प्रदेशों से अपनी रोजी-रोटी छोड़कर बिहार लौट रहे यहां के लोगों के लिए मछली पालन व्यवसाय भी अच्छी आमदनी का स्रोत हो सकता है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा अंतर्गत मत्स्यकी महाविद्यालय, ढोली के युवा वैज्ञानिक डॉ. शिवेंद्र का भी ऐसा ही मानना है। वे कहते हैं कि रंगीन मछली घर (एक्वेरियम) का निर्माण एवं बिक्री कर बेरोजगार लोग अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं।

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रोजगार की संभावनाएं

रंग-बिरंगी, सुंदर धारियों वाली सजावटी मछलियों के एक्वेरियम को घरों से लेकर रेस्टोरेंट, कार्यालय, दुकान आदि जगहों पर रखने का प्रचलन खूब है। एक्वेरियम केवल सजावटी वस्तु नहीं है, बल्कि यह बच्चों, बड़ों सभी को एक अलग प्रकार की खुशी देता है। इन मछलियों की चंचल-चपल कलाएं मस्तिष्क को तनाव से मुक्ति दिलाती हैं। कांच के बर्तन में रंगीन सजावटी मछलियां पाली जाती हैं। भारत करीब 279 लाख की रंगीन मछलियां प्रतिवर्ष निर्यात करता है। इस व्यवसाय में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

बिहार में पाली जाने वाली सजावटी मछलियां

विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार की आबोहवा को देखते हुए यहां सुनहरे लाल रंग की गोल्डन फिश, काले रंग की ब्लैक मौली, हल्की नीली गौरामी, सिल्वर गप्पी, धारियों वाली जेब्राफिश, एंजल फिश, ग्लास फिश आदि कई प्रकार की मछलियां यहां पाली जा सकती हैं। गोल्डन फिश का प्रजनन समय फरवरी से जुलाई तक होता है। अन्य मछलियां अप्रैल से जून के मध्य प्रजनन करती हैं।

ऐसे तैयार करते एक्वेरियम

एक टैंक जिसकी ताली पर आधा इंच बारीक रेत डाली हो उसमें नर व मादा मछली को छोड़ देते हैं। पानी बिल्कुल मृदु व साफ होना चाहिए। तीन सौ डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास का तापमान ठीक रहता है। जन्म के तीन दिन के बाद ये बाहरी भोजन लेना शुरू कर देती हैं। इन्हें माइक्रोस्कोपिक जीव खिलाए जाते हैं। तीन महीने के पाश्चात ये वयस्क मछली की तरह भोजन ग्रहण करने लायक हो जाती हैं।

एक्वेरियम बनाने के लिए जरूरी सामान

-- एक्वेरियम लाइट लगा ढक्कन और जरूरत के अनुसार एक स्टैंड या टेबल ।

-- कंकड़- पत्थर और रेत 10 से 15 किलोग्राम।

-- जलीय पौधे जरूरत के मुताबिक।

-- एक्वेरियम की पृष्ठभूमि के लिए रंगीन पोस्टर एक।

-- एयर स्टोर एक, सजावटी खिलौनेदो से चार, एयर पंप, थर्मामीटर एक, थर्मो स्टैंड एक, फिल्टर उपकरण, रंगीन मछलियां पसंद के अनुसार, मछलियों के लिए खाना जरूरत के अनुसार।

-- एक्सटेंशन प्लग एक, हैंड नेट एक।

-- 6 मिलीमीटर से 10 मिलीमीटर मोटाई वाला 3 गुणा 2 गुणा 1 फीट आकार का कांच।

मछलियों का भोजन

मछलियों को दिन में एक या दो बार भोजन देना होता है। सप्ताह में एक से दो बार मछलियों को जीवित भोजन अवश्य देना चाहिए इससे मछलियों की प्राकृतिक चमक बनी रहती है साथ में पोषक तत्व की संतुलित मात्रा बनी रहे इसके लिए बाजार में मिलने वाला डिब्बाबंद भोजन भी दें।

एक्वेरियम का रखरखाव

प्रतिदिन अगर एक से दो घंटे एयरेटल एवं फिल्टर चलाने पर एक्वेरियम के पानी को एक से डेढ़ महीने माह में तीन चौथाई बदलना होता है। खाना सीमित मात्रा में देना चाहिए ताकि एक्वेरियम में फालतू खाना नहीं रहे। दो-तीन महीने में एक बार एक्वेरियम के हर सामान की सफाई कर धूप में सुखाना चाहिए तथा इस बीच मछलियों को एक्वेरियम वाले पर्याप्त जल में ही रहना चाहिए। प्रतिदिन मछलियों को ध्यान पूर्वक देखना चाहिए। यदि कोई मछली बार-बार ऊपर आ रही है ठीक से नहीं तैर रही है, सुस्त है, शरीर कटा- कटा है, कवच टूटा या हटा हुआ है तो संभवत वह रोगग्रस्त है तथा उसे मत्स्य विशेषज्ञ के निर्देशानुसार उपचारित करना चाहिए ।


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