ढाई साल बाद भी पूरा नहीं हो सका समस्तीपुर-मुसरीघरारी पथ पर चौड़ीकरण का कार्य
Samastipur News समस्तीपुर-मुसरीघरारी पथ में चार किलोमीटर में बाधित है कार्य। ट्रैफिक लोड के कारण प्रतिदिन जाम की बनी रहती है स्थिति। सड़क चौड़ा किए बिना डिवाईडर बनाए जाने से परेशानी बढ़ी। कार्य की गति से अगले साल तक भी पूरा होने के नहीं आसार।
समस्तीपुर, जासं। जिला मुख्यालय की सबसे महत्वपूर्ण सड़कों में शुमार है समस्तीपुर- मुसरीघरारी पथ। इस पथ से होकर ही लोग पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी आदि जिले के लिए आते-जाते हैं। सबसे व्यस्ततम सड़क में यह शुमार है। प्रतिदिन ट्रैफिक का लोड इस सड़क पर इतना रहता है कि हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है। बावजूद आठ किलोमीटर सड़क का चौड़ीकरण कार्य ढाई साल में भी पूरा नहीं हुआ है। जिस गति से कार्य चल रहा है, उससे लगता नहीं है कि अगले एक साल में भी यह कार्य पूरा हो पाएगा। बता दें कि जिला मुख्यालय की सबसे महत्वपूर्ण सड़क समस्तीपुर से मुसरीघरारी की है। यह एनएच 28 से सीधा कनेक्ट करती है। पटना से दरभंगा-मधुबनी जाने वालों के लिए यही प्रमुख मार्ग है। शहर के बीचों-बीच समाहरणालय के सामने से होकर गुजरती है। पिछले कुछ सालों में ट्रैफिक लोड इस सड़क पर काफी बढा है।
अधिकांश जगहों पर आज भी ठप पड़े हैं कार्य
ट्रैफिक लोड को देखते हुए ही तत्कालीन जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने मगरदहीघाट से लेकर मोहनपुर तक की सड़क का चौड़ीकरण कराया था। बीच में डिवाईडर का भी निर्माण कराया गया था, जिससे जाम से लोगों को निजात मिल सके, वहीं दुर्घटना में भी कमी आए। इसका असर भी हुआ। बाद में तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने मुसरीघरारी से लेकर मोहनपुर तक एवं समस्तीपुर से लेकर मुक्तापुर तक की सड़क को चौड़ीकरण कार्य की स्वीकृति पथ निर्माण विभाग से दिलवाई। स्वीकृति मिलने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी शशांक शुभंकर के समय में यह कार्य वर्ष 2019 के सितंबर में प्रारंभ किया गया था। करीब ढाई साल बीत गए हैं लेकिन यह सड़क आज भी पूरा नहीं हो सका है। सबसे बड़ी बात यह है कि करीब पांच सौ फीट को छोड़ मोहनपुर से मुसरीघरारी तक डिवाईडर का काम पूरा हो गया है। कई जगहों पर सड़कों का चौड़ीकरण करने के लिए कार्य भी शुरू किया गया। लेकिन अधिकांश जगहों पर आज भी कार्य ठप पड़े हैं।
लगातार समीक्षा के बाद भी कार्य में नहीं आ सकी गति
सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिलाधिकारी के स्तर पर महीने में दो बार तकनीकी पदाधिकारियों की बैठक होती है। इसमें विभिन्न सड़कों, पुल-पुलिया समेत भवनों के कार्य की स्थिति की समीक्षा की जाती है। ढाई साल में करीब 30 बार से अधिक जिलाधिकारी समीक्षा कर चुके होंगे लेकिन आज तक इसे पूरा नहीं कराया जा सका है।
पहले अलकतरा उपलब्ध नहीं होने की कही जा रही थी बात
कोरोना काल में जब इस सड़क के निर्माण कार्य को लेकर जिलाधिकारी से पूछा गया था तो उन्होंने बताया था कि अलकतरा की आपूर्ति में देरी हो रही है। इसी वजह से निर्माण कार्य में गति नहीं आ रही है। लेकिन डेढ साल से अलकतरा की आपूर्ति होने के बाद भी कार्य पूर्ण नहीं होना सवाल खड़ा करता है।
बिना सड़क का चौड़ीकरण डिवाईडर बनाने से हो रही परेशानी
सड़क का चौड़ीकरण किए बगैर डिवाईडर बना दिए जाने से भी परेशानी हो रही है। स्थिति यह है कि मोहनुपर से लेकर मुसरीघरारी तक कोई भी गाड़ी चाहकर भी ओवरटेक नहीं कर सकता है। डिवाईडर बना दिए जाने के बाद से यह सड़क काफी सकड़ी हो गई है। वहीं बगैर लाइट लगाए ही डिवाईडर बना दिया गया है। रात के समय बड़ी गाडिय़ों की लाइट डिवाईडर पर रिफलेक्ट करने से छोटी गाडिय़ों एवं बाइक चालकों को वाहनों के परिचालन में काफी कठिनाई होती है।
वन विभाग से अब तक नहीं मिला है क्लीयरेंस
इस सड़क का निर्माण कार्य बाधित रहने के पीछे वन विभाग से क्लीयरेंस नहीं मिलना बताया गया है। विभागीय स्तर पर कहा गया है कि कई जगहों पर पहले से पेड़ लगे हुए हैं, जिसे काटकर हटाया जाना है या फिर शिफ्टिंग किया जाना है। इसके लिए वन विभाग की ओर से अब तक सहमति नहीं मिली है। वन विभाग से सहमति मिलते ही बिजली विभाग से भी अपने बिजली के खंभों को उखाड़कर साइड करने के लिए कहा जाएगा। हालांकि बिजली विभाग के द्वारा नए पोल गाड़ दिए गए हैं, लेकिन तार खींचकर उस पर बिजली आपूर्ति शुरू नहीं की गई है। जब तक इसे पूरा नहीं किया जाएगा, तक पुराने बिजली के पोल एवं तार को हटाया नहीं जा सकता है।
कहते है अधिकारी
कार्यपालक अभियंता उदय शंकर सिंह ने बताया कि, समस्तीपुर-मुसरीघरारी पथ के निर्माण कार्य को पूरा कराने के लिए पुरजोर प्रयास किया जा रहा है। अगले एक महीने में वन विभाग से क्लीयरेंस मिलने की उम्मीद है। क्लीयरेंस मिलते ही इस कार्य को युद्ध स्तर पर पूर्ण कर लिया जाएगा।