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समस्तीपुर के हसनपुर में रेलवे की जमीन से हटाया गया अतिक्रमण

रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान कुछ लोग रेल पुलिस पर पक्षपात का भी आरोप लगा रहे थे। लोगों का कहना था कि रेल प्रशासन द्वारा सिर्फ गरीबों की दुकानों को उजाड़ा जा रहा है ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 05:13 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 05:13 PM (IST)
समस्तीपुर के हसनपुर में रेलवे की जमीन से हटाया गया अतिक्रमण
समस्तीपुर-खगडिय़ा रेल खंड के हसनपुर रोड रेलवे स्टेशन की जमीन से अवैध कब्जा हटाया गया।

समस्तीपुर, जासं ।  समस्तीपुर-खगडिय़ा रेल खंड के हसनपुर रोड रेलवे स्टेशन की जमीन को अवैध रूप से कब्जा जमाए दुकानदारों पर सोमवार को रेल प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया। रेल प्रशासन के अनुरोध पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी सह अंचलाधिकारी आनंदचंद्र झा की मौजूदगी में रेल पुलिस ने करीब सौ से अधिक दुकानों को जेसीबी से तोड़कर अतिक्रमण मुक्त कराया। बताया गया है कि प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी और विजय भारती के नेतृत्व में आरपीएफ थानाध्यक्ष रामनिवास प्रसाद, अवर निरीक्षक अरङ्क्षवद कुमार पासवान, मनोज कुमार आदि पुलिस बलों ने सर्वप्रथम मछुआ पट्टी स्थित रेलवे की भूमि पर वर्षो से कब्जा कर संचालित दुकानों को हटाया। इसके बाद अतिक्रमण हटाओ अभियान में शामिल पदाधिकारियों ने चीनी मिल चौक के निकट रेलवे की भूमि पर बने दर्जनों दुकानों को तोड़कर खाली कराया।

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इसी तरह ताड़ी की दुकानों को भी हटाया। रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने के दौरान कुछ लोग रेल पुलिस पर पक्षपात का भी आरोप लगा रहे थे। लोगों का कहना था कि रेल प्रशासन द्वारा सिर्फ गरीबों की दुकानों को उजाड़ा जा रहा है। जबकि बाजार के कई धन्ना सेठों द्वारा अवैध रूप से ईंट खपरैल युक्त मकान बनाकर रेलवे की जमीन में दुकान चलाया जा रहा है। परंतु उसे नही हटाया गया है। हसनपुर बाजार में प्रतिदिन जाम लगने का मुख्य कारण एक यह भी है कि मछुआ पट्टी और चीनी मिल चौक के मुख्य सड़क के किनारे रेलवे की भूमि पर अवैध रूप से दुकानें संचालित हैं। जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए प्रत्येक दो ढाई साल में रेल प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है।

लेकिन अधिकारियों के जाने के चंद घंटों के बाद फिर से सड़क के किनारे दुकानें सज जाती है।दुकानदारों से महीनवारी वसूली के लिए कई बार अनाधिकृत रूप से जीआरपी द्वारा दुकानदारों को हाजत में बंद कर एक निश्चित राशि तय करने की परंपरा बनी हुई है। इस मसले को लेकर कई बार आरपीएफ और जीआरपी के बीच विवाद भी हो चुका है। बावजूद रेल प्रशासन द्वारा स्थायी रूप से अतिक्रमण हटाने की कोई पहल नहीं की जा रही है, जिससे स्थानीय लेागों में आक्रोश व्याप्त है।


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