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सजायाफ्ता अमेरिकी से मिलने पहुंचे दूतावास के प्रतिनिधि, इस कारण हुआ था गिरफ्तार Muzaffarpur News

19 मार्च 2018 को भारतीय सीमा में बासोपट्टी थाना के खौना बीओपी से एसएसबी ने किया था गिरफ्तार। एक घंटे तक अमेरिकन बंदी से की पूछताछ। मधुबनी से मुजफ्फरपुर किया गया था शिफ्ट।

By Murari KumarEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 10:14 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 10:14 PM (IST)
सजायाफ्ता अमेरिकी से मिलने पहुंचे दूतावास के प्रतिनिधि, इस कारण हुआ था गिरफ्तार Muzaffarpur News
सजायाफ्ता अमेरिकी से मिलने पहुंचे दूतावास के प्रतिनिधि, इस कारण हुआ था गिरफ्तार Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। अमर शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में बंद अमेरिकी सजायाफ्ता कैदी से मिलने मंगलवार को अमेरिकी दूतावास का दो सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल पहुंचा। इसका नेतृत्व दूतावास के काउंसलर पी वर्नेल कर रहे थे। प्रतिनिधिमंडल ने जेल में बंद अमेरिकी नागरिक डेविड ह्मयूम केलॉज से मुलाकात की। उससे सेहत और केस संबंधित जानकारी ली ।

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 पूछताछ से संबंधित रिपोर्ट को सीलबंद कर अपने साथ ले गए। जेल आइजी के आदेश पर प्रतिनिधिमंडल को कैदी से मिलवाया गया था। लगभग एक घंटे तक कैदी डेविड से पूछताछ की। जेल से निकलने के बाद प्रतिनिधि मंडल मिठनपुरा थाने पहुंच कर अपनी रिपोर्ट भी दर्ज कराई। जेल अधीक्षक राजीव कुमार सिंह ने बताया कि अमेरिकी दूतावास के प्रतिनिधि उसकी काउंसिलिंग के लिए आए थे। उसे अमेरिका शिफ्ट करने पर विचार किया जा रहा है।

बिना वीजा के हुआ था गिरफ्तार

19 मार्च 2018 को मधुबनी जिला के बासोपट्टी थाना खौना बीओपी के निकट एसएसबी ने गिरफ्तार किया था। उस पर बिना वीजा के भारत में प्रवेश व भ्रमण करने का आरोप था। 20 मार्च से वह मधुबनी कारा में बंद था। डेविड के पास से 1919 अमेरिकी डॉलर, 2665 नेपाली और 56070 कोरियन मुद्रा मिला था। इसके अलावा दिशा सूचक यंत्र और अन्य सामान बरामद हुए थे। इस संबंध में एसएसबी अधिकारी श्यामचरण वर्मण ने बासोपट्टी थाना में विदेशी अधिनियम के तहत डेविड के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 

 पांच साल कैद और दो हजार जुर्माने की सुनाई गई थी सजा 

डेविड को मधुबनी कोर्ट ने 10 सितंबर को पांच साल कैद और दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। सुरक्षा के मद्देनजर उसे मधुबनी उपकारा से मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया। मधुबनी जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर नियुक्त  अधिवक्ता रामशरण साह ने कोर्ट में केस की पैरवी की। कोर्ट से उसे इसी साल अगस्त में जमानत मिल गई। लेकिन, भारत में उसका कोई जमानतदार नहीं मिला। इस कारण वह बाहर नहीं निकल सका। यह भी बात सामने आई है कि जब भी डेविड को कोर्ट में पेशी के लिए ले जाया जाता था, वह नंगे पांव ही पहुंचता था। 


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