अब बिहार के बाघों की निगरानी करेंगे अंडमान के हाथी, जानिए
बिहार के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में रहने वाले बाघों की निगरानी अब अंडमान के हाथी करेंगे। इसके लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व प्रशासन अंडमान निकोबार से पांच हाथी मंगवा रहा है।
पश्चिम चंपारण [जेएनएन]। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) क्षेत्र में रहने वाले बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों की निगरानी अब हाथियों के सहारे की जाएगी। इसके लिए वीटीआर प्रशासन अब अंडमान निकोबार से पांच हाथी मंगा रहा है। उप निदेशक स्तर के पदाधिकारी इसके लिए भेजे गए हैं।
अंडमान के हाथियों को चुनने का मुख्य कारण यह है कि यहां के हाथी पानी में भी आने-जाने में निपुण होते हैं। हाथियों के रखरखाव के लिए वीटीआर प्रशासन 1.20 करोड़ रुपये सालाना खर्च करेगा। चार पशु चिकित्सकों के नियोजन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। पहले 10 हाथी कर्नाटक से मंगाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन वहां से पांच ही आ रहे हैं।
हाथी के सहारे बाघों की मॉनीटरिंग आसानी से की जा सकेगी। बाघों व अन्य वन्य प्राणियों की गतिविधियों एवं उनके मूवमेंट की जानकारी हो सकेगी।
हाथी के सहारे निगरानी के मामले में मध्य प्रदेश एवं असाम के जंगलों के बाद वीटीआर देश का तीसरा क्षेत्र हो जाएगा। यह शिकारियों से बचाव के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अत्याधुनिक तकनीक है। इसे राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकार और वन्य प्राणी संस्थान, देहरादून ने भी संयुक्त रूप से अनुशंसित किया है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के क्षेत्र निदेशक एस चंद्रशेखर ने बताया कि इसमें सबसे पहले भटके बाघ के मूवमेंट का पता ड्रोन के सहारे लगाया जाएगा। फिर हाथी के सहारे वन कर्मी संबंधित बाघ को ट्रैंक्यूलाइजर गन से बेहोश करने के बाद उसे संरक्षित इलाके में छोड़ देंगे।
इसलिए लिया गया निर्णय
बता दें कि सूबे के कई ऐसे इलाके हैं, जहां अक्सर बाघ भटक कर आबादी में आ जाते हैं। वीटीआर क्षेत्र से बाघ सहित कई वन्य प्राणी गन्ने के खेत और रिहायशी इलाके में पहुंच चुके हैं। बीते साल नेपाल के चितवन पार्क से भटक कर आए गैंडों को रेस्क्यू करने में हाथियों का सहारा लिया गया था। उसके लिए नेपाल से हाथी मंगाए गए थे।