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विश्वविद्यालय में बिजली-पानी, साफ-सफाई सबका है बुरा हाल

नगर विकास विभाग के मंत्री सुरेश कुमार शर्मा की आंखों से विश्वविद्यालय लगता है ओझल हो चुका है। सड़क, बिजली, पानी, साफ-सफाई, पार्क, तालाब सबका बुरा हाल है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 06:00 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 06:00 PM (IST)
विश्वविद्यालय में बिजली-पानी, साफ-सफाई सबका है बुरा हाल
विश्वविद्यालय में बिजली-पानी, साफ-सफाई सबका है बुरा हाल

मुजफ्फरपुर । नगर विकास विभाग के मंत्री सुरेश कुमार शर्मा की आंखों से विश्वविद्यालय लगता है ओझल हो चुका है। सड़क, बिजली, पानी, साफ-सफाई, पार्क, तालाब सबका बुरा हाल है। कॉलेज-यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं, रीडर-प्रोफेसर, कर्मचारी सब आस लगाए बैठे हैं कि मंत्री जी का ध्यान इस ओर हो जाए। जुलाई 2017 में मंत्री बनने के बाद उन्होंने विश्वविद्यालय की सुध नहीं ली है। विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष बसंत कुमार उर्फ सिद्धू ने पत्र लिखकर इस ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया है। उदासीनता दे रही गवाही स्ट्रीट लाइट : विश्वविद्यालय से लेकर लंगट सिंह कॉलेज परिसर तक सभी स्ट्रीट लाइट्स बंद पड़ी हैं। रात में इधर से गुजरने वालों को अंधेरे में परेशानी होती है।

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सड़क : विश्वविद्यालय परिसर की तमाम सड़कें जीर्णशीर्ण अवस्था में हैं। दामुचक से होमलेस चौक होते हुए पीजी ब्वायज हॉस्टल की ओर जाने वाली सड़क खास्ताहाल है। उसकी मरम्मत नहीं होने से राहगीरों को परेशानी होती है।

पार्क : विवि का पार्क उदासीनता की गवाही दे रहा है, तो लंगट सिंह कॉलेज के पार्क का भी बुरा हाल है। इसी तरह आरडीएस व एमपी सिन्हा साइंस कॉलेज पार्क के जीर्णोद्धार की ओर भी कोई ध्यान नहीं है।

तालाब : तालाबों की भी यहीं स्थिति है। विश्वविद्यालय कैंपस में स्थित तालाब जलकुंभी से पटा है। उस तालाब के पास धोबी कपड़े सफाई करते हैं, आवारा पशुओं का चारागाह बना हुआ है। आरडीएस कॉलेज में भी तालाब धोबी के इस्तेमाल में ही काम आता है। कूड़ा निष्पादन, ठोस और द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन का इंतजाम नहीं

कॉलेजों में साफ-सफाई छात्रों पर ही निर्भर है। उच्च शिक्षण संस्थानों में इस कदर उदासीनता स्वच्छता अभियान को पलीता लगा रहा है। कैंपस से लेकर अंदर कक्षाओं तक गंदगी और झाड़-जंगल दिखाई पड़ते हैं। कॉलेज के अंदर झाड़-जंगल देखकर आगंतुकों का मन व्यथित होता है। परिसरो में कूड़ा निष्पादन, ठोस और द्रव्य अपशिष्ट प्रबंधन का कोई इंतजाम नजर नहीं आता।


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