BRA Bihar University ऑडिटोरियम में आज से जुटेंगे देश-विदेश के अर्थशास्त्री
BRA Bihar University बिहार इकोनॉमिक्स एसोशिएशन की ओर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन का हो रहा आयोजन।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम में गुरुवार से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन बिहार इकोनॉमिक्स एसोशिएशन की ओर से होगा। एसोशिएशन के फाउंडर सचिव डॉ.अनिल कुमार ठाकुर ने बताया कि इसमें विभिन्न आर्थिक पहलुओं को केंद्र में रखकर 20वां वार्षिक अधिवेशन होगा। इसमें देश-विदेश के नामचीन अर्थशास्त्री के साथ शोधार्थी भी शिरकत कर रहे हैं।
आयोजन में क्वेंपु विश्वविद्यालय कर्नाटक के कुलपति डॉ.वीरवदरप्पा, बीएन मंडल विवि के कुलपति डॉ.एसके सिंह, कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.शुक्ला महंते, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.रास बिहारी प्रसाद सिंह सिंह के साथ बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आरके मंडल रहेंगे। उद्घाटन इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के अध्यक्ष और आइजीआइडीआर मुंबई के कुलपति प्रो.एस महेंद्र देव करेंगे।
मौके पर अधिवेशन के आयोजन सचिव डॉ.संजय कुमार, विभागाध्यक्ष डॉ.सीकेपी साही, प्राक्टर डॉ.राकेश कुमार, डॉ.सुनील कुमार, डॉ.गगनदेव यादव, प्राचार्य डॉ.सुबोध कुमार, डॉ.विनीत कुमार, डॉ.ललित किशोर, डॉ.रवि कुमार व डॉ.मनीषा मौजूद थीं।
महिलाओं की शिक्षा व स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत
जेंडर रिसोर्स सेंटर, महिला विकास निगम, समाज कल्याण विभाग द्वारा जेंडर बजटिंग दो दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत प्रमंडलीय आयुक्त पंकज कुमार ने की। उन्होंने कहा कि महिलाओं की स्थिति में सुधार व उनके सशक्तीकरण के लिए राज्य सरकार संकल्पित है।
जेंडर बजटिंग एक सतत प्रक्रिया है। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि विकास के लाभ पुरुषों के बराबर महिलाओं को भी प्राप्त हों। उन्होंने स्वस्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में जेंडर बजटिंग को सुदृढ़ करने की बात की। इसको समाज की जरूरतों के हिसाब से सामंजस्य बैठाने की बात की। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने के लिए सरकारी प्रयासों पर बल दिया।
विशेषज्ञ अवधेश कुमार सिंह ने बाल विवाह, गर्भधारण की समस्याएं, जागरूकता की कमी आदि विषयों पर चर्चा की। कहा कि बिहार में महिलाएं कुछ मामलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं और वे राष्ट्रीय औसत स्तर के करीब हैं। मौके पर गुंजन बिहारी ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। माहवारी के दौरान साफ सफाई, महिला मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, महिलाओं में जागरूकता की कमी आदि विषयों पर बात हुई।