AIR POLLUTION : हवा में तैरता धूलकण इस तरह आपको कर रहा बीमार, जानिए मुजफ्फरपुर की स्थिति
AIR POLLUTION नारायणपुर अनंत में जहरीले क्लिंकर की लोडिंग-अनलोडिंग पर रोक नहीं। नालियोंं की गाद और ईंट भट्ठों की चिमनियों का धुआं भी प्रदूषण बढ़ा रहा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। रोक के बाद भी नारायणपुर अनंत में जहरीले क्लिंकर की लोडिंग-अनलोडिंग जारी है। इस कारण शहर प्रदूषण के आगोश में समा रहा है। वहीं नालियोंं की गाद और ईंट भट्ठों की चिमनियों का धुआं भी प्रदूषण बढ़ा रहा।
नारायणपुर से मिठनपुरा चौक तक सड़क के दोनों ओर धूल की दो इंच मोटी परत जमी रहती है। वातावररण में बढ़ती नमी के बीच हवा में फैले धूलकण आसमान की ओर नहीं उठ पा रहे हैं। यह धूलकण सांसों के जरिए लोगों के हृदय में प्रवेश कर रहा है। शहर के अलावा बेला, बेला छपरा, शेरपुर, मिठनपुरा आदि इलाके के लोगों को भी परेशानी हो रही है। बीते जनवरी में ही एसडीओ पूर्वी ने आवासीय इलाका रहने के कारण नारायणपुर अनंत स्टेशन स्थित क्लिंकर के रैक प्वाइंट को हटाने के लिए रेलवे को पत्र भेजा था। इसपर रोक के आदेश भी जारी हुए। लेकिन इसे फिर चालू कर दिया गया है।
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने की थी जांच
प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की जांच रिपोर्ट में भी नारायणपुर रेलवे गुमटी से पहले पेट्रोल पंप के पास मुख्य सड़क किनारे चार जगहों पर क्लिंकर की लोडिंग-अनलोडिंग की गतिविधियां पाई गईं थींं। उस वक्त प्रशासन की सख्ती के बाद कुछ दिनों तक यह काम बंद रहा। लेकिन इधर फिर से व्यापक पैमाने पर क्लिंकर की लोडिंग-अनलोडिंग यहां हो रही है।
सड़क पर पसरी रहती नालियों की गाद
नालियों से निकलने वाला गाद काफी समय तक सड़क पर ही पसरा रहता है। इस कारण भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। जबकि कचरा निकालने के साथ ही गाद को भी हटा कर ब्लीचिंग आदि का छिड़काव करना चाहिए।
खुले में मिट्टी की ढुलाई
तिरपाल से ढके बगैर ट्रैक्टर से मिट्टी की ढुलाई धड़ल्ले से की जा रही है। इसके साथ ही क्लिंकर, सीमेंट, गिट्टी-बालू की ढुलाई भी खुले तौर पर की जा रही है। इसके कारण शहर में सड़कों पर धूल की परत जमती जा रही है।
ईंट-भट्ठों पर पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड की नजर
जिले में 350 से अधिक ईंट-भट्ठों में कोयले का उपयोग होता है। यह भी प्रदूषण को फैलाता है। पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि ब्रिक्स क्लीन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल करने से चिमनी का प्रदूषण स्तर काफी कम हो जाता है। जिले में मात्र 40 भट्ठा संचालक ही आदेश का पालन कर रहे हैं। मुशहरी, मड़वन, बोचहां, कुढऩी, कांटी स्थित करीब 100 चिमनियों के मालिकों को नोटिस भेजा जा रहा है।