कोरोना संक्रमण के काल में ऑनलाइन के बढ़ते हाथों ने खाली कर दिए ऑफलाइन बाजार के गल्ले
त्योहारी सीजन में दुकानदार बना रहे तरह-तरह की रणनीति। सदी की सबसे बड़ी आपदा के बीच यह पहला त्योहारी सीजन होगा जिसमें बाजार तक ग्राहक नहीं बाजार ग्राहकों तक पहुंचेगा। किसी मोबाइल के अगर 15 मॉडल उपलब्ध हैं तो उसमें से तीन सिर्फ ऑनलाइन मार्केट में ही मिलेंगे।
समस्तीपुर, जेएनएन। बाजार त्योहारी सीजन की तैयारियों में कोविड-19 को देखते हुए ही अपनी रणनीति बना रहा है। नए-नए तरीके, योजनाएं और तकनीक का सहारा लेकर ग्राहकों को लुभाने की रणनीति बन रही है। सदी की सबसे बड़ी आपदा के बीच यह पहला त्योहारी सीजन होगा, जिसमें बाजार तक ग्राहक नहीं, बाजार ग्राहकों तक पहुंचेगा। वर्चुअल शोरूम से लेकर सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार होगा। इस बार ऑनलाइन करने का काम बाजार के वे लोग भी कर रहे हैं, जो अब तक परंपरागत बाजार को ही महत्व देते थे।
ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार में जंग छिड़ चुकी है। ग्राहकों की जेबों में ऑनलाइन के बढ़ते हाथों ने ऑफलाइन बाजार के गल्ले खाली कर दिए हैं। पहले शहर के इलेक्ट्रोनिक बाजार ने विरोध जताया तो अब मोबाइल बाजार भी ऑनलाइन शॉङ्क्षपग के विरोध में खड़ा हो गया है।
त्योहार का समय नजदीक है। यही समय होता है जब व्यापारी अपने पूरे साल का फायदा निकाल लेता है। लेकिन, कोरोना के साथ-साथ ऑनलाइन शॉङ्क्षपग के प्रति लोगों की बढ़ती दीवानगी ने दुकानदारों के लिए ङ्क्षचता की खाई खोद दी है। बाजार सुनसान हैं। लोग घरों में बैठकर ही पसंद का हर सामान ऑर्डर कर रहे हैं। फिर वो चाहे कपड़े हों या एसी। इसके पीछे प्रमुख वजह ऑनलाइन स्तर पर मिल रही छूट भी है। 50 फीसद से ज्यादा डिस्काउंट के कारण लोग अब बाजारों में जाकर खरीदारी करना ही नहीं चाहते। इससे दुकानदारों को सामान बिक्री नहीं हो रहा है।
कुछ मॉडल ऑनलाइन ही उपलब्ध
मोबाइल कंपनियां अपने कुछ मॉडल्स सिर्फ इन ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए ही बनाती हैं। किसी मोबाइल के अगर 15 मॉडल उपलब्ध हैं, तो उसमें से तीन सिर्फ ऑनलाइन मार्केट में ही मिलेंगे।
कीमतों में भारी अंतर
ऑनलाइन मिलने वाले मोबाइल और ऑफलाइन मिलने वाले मोबाइल की कीमतों में भारी अंतर है। यही अंतर ग्राहकों को ऑनलाइन की तरफ भेज रहा है। आइफोन 11 की कीमत ऑनलाइन 59 हजार रुपये है तो रिटेल में यही मोबाइल 65 हजार का मिल रहा है। यही हाल एमआइ और रियलमी कंपनियों के मोबाइल का भी है। दोनों के ऑनलाइन और ऑफलाइन कीमतों में 12-13 फीसद का अंतर है।
ई-कॉमर्स कंपनियों का खेल
ऑनलाइन सामान बेचने वाली कंपनियों को ई-कॉमर्स कंपनियां कहा जाता है। इनमें एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, ङ्क्षमत्रा आदि शामिल हैं। भारत में ऑनलाइन शॉङ्क्षपग करने वालों की संख्या ज्यादा है और 50 से ज्यादा ई कॉमर्स कंपनियां सक्रिय हैं। यह ई-कॉमर्स कंपनियां उत्पादकों से सीधा डील करती हैं और माल उठाती हैं। मैन्यूफैक्चर्स कम दामों में इन कंपनियां को माल उपलब्ध करा देते हैं, जिससे ग्राहकों को हैवी डिस्काउंट मिल जाता है।