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कपड़ों की रंगाई की सुविधा से बढ़ी मिथिला पेंटिंग की चमक, लोगों को मिल रहा रोजगार

कपड़ों की मनपसंद पक्की रंगाई के बाद मिथिला पेंटिंग बनाना आसान। पहले कई बार रंगीन कपड़ों से रंग छूटने से पेंटिंग हो जाती थी खराब। छोटे व कम पूंजी वाले कलाकार आर्थिक कमी के चलते अलग-अलग रंग के कपड़े नहीं मंगा पाते थे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 06:01 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 06:01 AM (IST)
कपड़ों की रंगाई की सुविधा से बढ़ी मिथिला पेंटिंग की चमक, लोगों को मिल रहा रोजगार
मधुबनी के रांटी में लगे डाई प्लांट में कपड़े की रंगाई करते कारीगर। फोटो: जागरण

मधुबनी, [कपिलेश्वर साह]।  खादी, सूती व सिल्क कपड़ों की पक्की रंगाई की सुविधा जिले में शुरू हो गई है। इसके लिए रांटी में डाई प्लांट की स्थापना की गई है। इसका लाभ यह है कि मिथिला पेंटिंग की चमक और बढ़ गई है। छोटे कलाकारों को लाभ मिल रहा है। मिथिला पेंटिंग के कलाकार खादी, सिल्क व सूती की साड़ी, सलवार-सूट, दुपट्टा, टेबल क्लाथ, दरवाजा-खिड़की के पर्दे सहित अन्य तरह के कपड़ों पर भी मिथिला पेंटिंग उकेरते हैं। इसके लिए उन्हें कई तरह के रंगीन कपड़े भागलपुर, नालंदा व नवादा के अलावा छत्तीसगढ़ से मंगाने पड़ते थे। छोटे व कम पूंजी वाले कलाकार आर्थिक कमी के चलते अलग-अलग रंग के कपड़े नहीं मंगा पाते थे। साथ ही बाहर से मंगाए गए कपड़ों का रंग कभी-कभी छूटता था। इससे पेंटिंग बेकार हो जाती थी। चमक फीकी पड़ जाती थी। इसे लेकर काफी समय से डाई प्लांट लगाने की मांग की जा रही थी। लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम, भारत सरकार के सहयोग से मिथिला पेंटिंग उत्पादन एवं प्रशिक्षण केंद्र, ग्राम विकास परिषद, रांटी में 12 लाख खर्च कर डाई हाउस की स्थापना दो महीने पहले की गई।

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धुलाई के बाद भी पेंटिंग की चमक पर असर नहीं

मिथिला पेंटिंग की कलाकार शैल देवी, अनिता देवी, रानी दत्त और सीमा दास ने बताया कि डाई प्लांट में पक्के रंगों की रंगाई से कपड़ों पर पेंटिंग की चमक बढ़ गई है। यह चमक वर्षों तक रहेगी। कपड़ों की धुलाई के बाद भी पेंटिंग पर फर्क नहीं आएगा। रंगाई से कपड़ों के मिलावटी धागे वाले सिल्क की पहचान हो रही है।

रंगाई के लिए एक दर्जन कलाकारों को दिया गया प्रशिक्षण

ग्राम विकास परिषद के सचिव षष्ठिनाथ झा ने बताया कि मिथिला पेंटिंग के लिए सालाना आठ से 10 लाख रुपये के कपड़े मंगाए जाते हैं। अपनी पसंद और थीम के अनुसार कलाकार कपड़े रंगवा रहे हैं। डाई हाउस से लागत मूल्य (सूती और खादी पांच से आठ रुपये व सिल्क 15 रुपये मीटर) पर रंगाई की सुविधा दी जा रही है। प्रतिदिन 500 से 700 मीटर कपड़ों की रंगाई की व्यवस्था है। अभी सप्ताह में एक दिन रंगाई हो रही है। अगले महीने से सप्ताह में तीन दिनहोगी। इसके लिए एक दर्जन कलाकारों को प्रशिक्षण दिया गया है। इलाके के बुनकरों को भी खादी की रंगाई की सुविधा उपलब्ध हो गई है।


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