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डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि, पूसा के धान बीज राजेंद्र नीलम को मिली राष्ट्रीय पहचान, जानिए इसकी विशेषताएं

वर्ष 2017 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि ने जारी किया था प्रभेद। अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 18 May 2020 08:25 AM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 08:25 AM (IST)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि, पूसा के धान बीज राजेंद्र नीलम को मिली राष्ट्रीय पहचान, जानिए इसकी विशेषताएं
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि, पूसा के धान बीज राजेंद्र नीलम को मिली राष्ट्रीय पहचान, जानिए इसकी विशेषताएं

समस्तीपुर,[ पूर्णेंदु कुमार]। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि, पूसा द्वारा विकसित राजेंद्र नीलम धान प्रभेद को राष्ट्रीय पहचान मिली है। यह प्रभेद देश के कई राज्यों में अपनी खुशबू फैलाएगा। विवि द्वारा इसे वर्ष 2017 में अनुसंधान परिषद की बैठक में विकसित किया गया था। विवि की अनुशंसा के बाद इसे बिहार स्टेट वैरायटी कमेटी ने भी रिलीज किया था। केंद्रीय स्तर पर इस प्रभेद पर मंथन और फसल पर मौसम के प्रभाव को देखने के बाद केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाई किया गया। इसे अब सीड चेन कमेटी में लाया गया है। पहले धान के इस बीज का उत्पादन बिहार व आसपास के राज्यों में होता था। अब राष्ट्रीय स्तर पर तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

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धान बीज का उत्पादन कराया जाएगा

विवि के बीज निदेशक डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि विवि द्वारा ब्रीडर सीड उपलब्ध कराया जाएगा। इसे देश के विभिन्न बीज उत्पादन संस्थानों को दिया जाएगा, जो प्रजनक बीज एवं सर्टिफाइड बीज का उत्पादन करेंगे। उन्होंने बताया कि सूबे की सरकार के विभिन्न कृषि फार्म में भी धान बीज का उत्पादन कराया जाएगा।

राजेंद्र नीलम धान की खूबियां

बीज निदेशक व इसके प्रजनक डॉ. नीलंजय के अनुसार, प्रभेद विकसित करने में विवि के वैज्ञानिकों को आठ वर्ष लगे। साल 2009 में कार्य प्रारंभ हुआ, सफलता 2017 में मिली। यह धान कम समय व कम पानी में अच्छी उपज देनेवाला है। 105 से 110 दिनों में तैयार होता है। इसकी उपज क्षमता 40 से 45 ङ्क्षक्वटल प्रति हेक्टेयर है। अगर बारिश होती है तो बेहतर उत्पादन होंगे। नहीं भी होती है तो ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। दो से तीन पानी में ही अच्छी उपज देता है। इसे सूखारोधी भी कहा जाता है। सीधी बोआई के लिए भी यह प्रभेद काफी उपयुक्त है। कम अवधि में होने के कारण समय से कटाई होने के बाद अगली फसल आसानी से ली जा सकती। चावल मध्यम आकार के होते हैं।

किसानों को लाभ मिलेगा

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ( समस्तीपुर) के कुलपति डॉ. आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि यह काफी खुशी की बात है। उक्त धान के बीज का चयन राष्ट्रीय स्तर पर किया गया है। इससे किसानों को लाभ मिलेगा। संबंधित वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं।


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