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सीतामढ़ी में डाक्टर ने अपना ब्लड चढ़ाकर बचाई 15 साल की किशोरी की जान

Sitamarhi news सीतामढ़ी ज‍िले के डुमरा शंकर चौक स्थित एसआरके सिटी हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में किशोरी का हुआ ऑपरेशन। हास्पिटल के डायरेक्टर डा. शबनम आरा ने मरीज की ज‍ि‍ंदगी बचाने के लिए दिया अपना खून ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 21 May 2022 10:01 PM (IST)Updated: Sat, 21 May 2022 10:01 PM (IST)
सीतामढ़ी में डाक्टर ने अपना ब्लड चढ़ाकर बचाई 15 साल की किशोरी की जान
नेपाल की किशोरी के ऑपरेशन के बाद अपना ब्लड देकर ङ्क्षजदगी बचानेवाली डा. शबनम आरा उसका कुशलक्षेम पूछते हुए। जागरण

सीतामढ़ी, जासं। चिकित्सकों की लापरवाही से मरीज की मौत के किस्से तो आपने बहुत सुनी होगी लेकिन, किसी मरीज को बचाने के लिए अपना खून देना कभी कभार ही सामने आता है। 15 साल की जैनब खातून के पेट के ऑपरेशन के बाद खून चढ़ाने की नौबत आई तो उसका इलाज करने वाली डा. शबनम आरा ने अपना ब्लड चढ़ाकर जीवनदान दिया। डुमरा शंकर चौक स्थित एसआरके सिटी हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में जैनब बीते पांच दिनों से भर्ती थी। डायरेक्टर डा.शबनम आरा ने दैनिक जागरण को बताया कि उसके पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत थी।

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किशोरावस्था में उसे अपेंडिसुलर वेध और पेरिएपेंडिकुलर फोड़ा के साथ एपेंडिसाइटिस की बीमारी थी जिसका सफल इलाज किया गया। मरीज का हीमोग्लोबिन केवल 7 ग्राम/ डीएल हो गया था। नेपाल के मलंगवा के साहेब मिकरानी की पुत्री के सफल इलाज के बाद उसके परिवार वालों के चेहरे खुशी से खिल उठे। सबने झोली भर-भर के दुआएं दीं। डाक्टर को भगवान का दर्जा यूं ही नहीं दिया जाता। उनके हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सक डा. शिवशंकर महतो ने कहा कि बेशक डा. शबनम ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। उन्होंने मरीज की जान बचाने के लिए ना सिर्फ ईमानदारी से उसका इलाज किया बल्कि, जरूरत पडऩे पर अपना खून भी दे दिया। नवजीवन हास्पिटल के चिकित्सक डा. प्रवीण कुमार ने भी उनके इस कार्य की जमकर प्रशंसा की है।

डाक्टर ने बताया कि आमतौर पर कब्ज के चलते मरीज में यह समस्या आती है। शबनम ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान जब मरीज को ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता थी तो उसके ग्रुप का ब्लड नहीं मिल पा रहा था। जिसके चलते उन्होंने अपना ब्लड चढ़ाने का फैसला किया और बिना देर किए उसको ब्लड चढ़ाकर जीवन बचाया गया। बहरहाल, भले ही कुछ लोगों ने चिकित्सा जगत को बदनाम किया हो लेकिन, डा. शबनम आरा जैसे डाक्टर आज भी अस्पतालों में मौजूद हैं, जो मरीज की जान बचाने के लिए अपने शरीर का कतरा-कतरा खून बहा देने में पीछे नहीं हटते।


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