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मानकों का पालन नहीं, जहां चाहा खोल ली कोचिंग

2000 से अधिक कोचिंग सेंटर जिले में चल रहे किसी का रजिस्ट्रेशन नहीं। कई कोचिंग सेंटर संकरी गलियों में तो कई तंग कमरों में साइकिल खड़ी करने तक की जगह नहीं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 27 May 2019 05:21 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2019 05:21 PM (IST)
मानकों का पालन नहीं, जहां चाहा खोल ली कोचिंग
मानकों का पालन नहीं, जहां चाहा खोल ली कोचिंग

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। छोटा सा कमरा और उसमें रख दिए कुछ बेंच और कुर्सियां। शुरू हो गया कोचिंग संस्थान। शहर के अधिकतर कोचिंग का हाल ऐसा ही है। वे न तो किसी नियम का पालन करते हैं और न ही प्रशासन इसकी जांच की जहमत उठाता है। इंतजार शायद सूरत जैसे हादसे का है।

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 शहर में जगदीशपुरी मोहल्ला, मदनानी गली, सिकंदरपुर काली मंदिर गली, एफसीआइ गोदाम गली, मिठनपुरा, कलमबाग चौक, पानी टंकी, आमगोला, सरैयागंज, मिठनपुरा, अघोरिया बाजार सहित अन्य जगहों पर कोचिंग संस्थान चल रहे। यहां मेडिकल और इंजीनियङ्क्षरग में प्रवेश के अलावा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। कई कोचिंग संस्थान संकरी गलियों में चल रहे तो कई तंग कमरों में। किसी के पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।

फायर विभाग का एनओसी नहीं

जिले में 2000 से अधिक कोचिंग संस्थान हैं। लेकिन, एक ने भी बिहार कोचिंग संस्थान (नियंत्रण एवं विनियमन) एक्ट के तहत रजिस्टे्रशन नहीं कराया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी के अनुसार रजिस्ट्रेशन के लिए 165 कोचिंग संचालकों ने आवेदन दिया था। लेकिन, किसी के पास फायर विभाग का एनओसी नहीं है। इस कारण रजिस्ट्रेशन रोक दिया गया। उनका कहना है कि किसी कोचिंग संस्थान के पास आग से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे यहां पढऩे वाले छात्रों की जान खतरे में है।

 बिहार कोचिंग संस्थान एक्ट के मुताबिक बैठने के लिए पर्याप्त जगह, आकस्मिक चिकित्सा सुविधा और पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। बैठने को छोड़कर शहर के अधिकतर कोचिंग में अन्य व्यवस्थाएं नहीं हैं। छात्र-छात्राएं सड़क किनारे साइकिल या वाहन लगाते हैं। प्राइवेट स्कूल एवं चिल्ड्रेंस वेलफेयर कमेटी के जिलाध्यक्ष शेखर कुमार ने बताया कि सभी नियमों का पालन किया जाएगा। इसके लिए कवायद चल रही।

कोचिंग संस्थानों की हुई जांच

जिला फायर ऑफिसर ने कलमबाग रोड, भगवानपुर और मिठनपुरा सहित शहर के विभिन्न जगहों पर कोचिंग संस्थानों की जांच की। हालांकि, रविवार होने के कारण अधिकतर बंद मिले। कुछ कोचिंग संस्थानों को खोलवाकर जांच की गई। फायर ऑफिसर ने बताया कि किसी भी कोचिंग संस्थान ने एनओसी नहीं लिया है। सभी को नोटिस भेजा जा रहा।

समय-समय पर आग से बचाव की देते जानकारी

जिला शिक्षा अधिकारी के अनुसार सरकारी स्कूलों में समय-समय पर बच्चों को आग से बचाव की जानकारी दी जाती है। सरकारी विद्यालयों में अग्निशमन यंत्र लगाने के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है। निजी शैक्षणिक संस्थानों का रजिस्ट्रेशन फायर विभाग का एनओसी देखने के बाद ही किया जाता है। नियम का पालन नहीं करने के चलते कोचिंग संस्थानों के रजिस्टे्रशन के लिए आए करीब 165 आवेदनों को रोक दिया गया है।

आग लगी तो यहां भी हो सकती सूरत जैसी स्थिति

अधिकतर कोचिंग संस्थान ऊंची इमारतों में चल रहे। इनकी बनावट बिल्डिंग बायलॉज के विपरीत है। वहां इमरजेंसी के दौरान बाहर निकलने के लिए वैकल्पिक रास्ते नहीं। सीढिय़ां तक तंग हैं। बाहर से निकलने का कोई रास्ता नहीं। बाहरी दीवार भी टायल्स, मार्बल व कांच से बनाए गए है। आग लगने पर वहां की स्थिति भी सूरत जैसी हो सकती है।

इस बारे में जिला अग्निशमन पदाधिकारी संतोष कुमार पांडेय ने कहा कि कोचिंग संस्थानों के साथ स्कूलों को नोटिस भेजा जाएगा। फायर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। कोचिंग सेंटर और स्कूलों की जांच के लिए एक टीम गठित की गई है।

 वहीं, डीईओ डॉ. विमल ठाकुर ने कहा कि जिले के सभी सरकारी, कोचिंग, निजी विद्यालयों में फायर सिस्टम लगाने का आदेश दिया गया है। जिला फायर ऑफिसर को इसकी सूची सौंप दी गई है। 

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