हौसले से दिव्या लगा रही सफलता की छलांग, लंबी व उंची कूद में जीत चुकी कई पदक Muzaffarpur News
Muzaffarpur News केंद्रीय विद्यालय में अध्ययनरत नौवीं की छात्रा दिव्या ने कई प्रतियोगिताओं में मारी बाजी। लंबी व ऊंची कूद में अबतक जीत चुकी 15 स्वर्ण और चार रजत।
मुजफ्फरपुर, मुरारी कुमार। बेटियां अब समाज की कुरीतियों की जंजीरों को तोड़ आसमान की ओर परवाज भरने लगी हैं। अपनी प्रतिभा, मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर सभी क्षेत्रों में सफल भी हो रही हैं। शहर के गन्नीपुर में रहनेवाली केंद्रीय विद्यालय की नौवीं की छात्रा दिव्या ऐसी ही एक मिसाल है। शुरू से ही दिव्या की एथलेटिक्स में रुचि थी, लेकिन पिता के निधन के बाद मंजिल की ओर कदम बढ़ाने में वह डगमगाने लगी। ऐसी स्थिति में मां ने आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया तो अपने हौसले से सफलता की छलांग लगा रही है। इधर, कुछ दिन पूर्व ही उसकी मां का भी देहांत हो गया तो वह टूट-सी गई, लेकिन मां-पिता के दिए प्रोत्साहन और आगे बढ़ाने के संकल्पों को देखकर वह सपनों को हकीकत में बदलने में लगी।
दिव्या सातवीं कक्षा में थी, जब पहली बार स्कूल की ओर से राज्य स्तर पर खेलने जाने का मौका मिला। राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अपने विद्यालय की तरफ से दिव्या ने अबतक 15 स्वर्ण व चार रजत पदक जीते हैं। राज्य स्तरीय ओपेन एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भी कई पदक एवं प्रमाणपत्र हासिल किए।
ऐसे बनी एथलीट
पहली बार दिव्या खगडिय़ा में कबड्डी खेलने गई थी, पर यहां कोई सफलता नहीं मिली। दिव्या की फुर्ती और खेल भाव को देखते हुए खेल शिक्षक ने एथलेटिक्स में भाग लेने की सलाह दी। इसके बाद उसने इस ओर कदम बढ़ाया और लंबी कूद, ऊंची कूद और 100 मीटर दौड़ में कई पदक हासिल किए।
प्रतिभा का लोहा मनवाया
विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफलता हासिल कर दिव्या ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। 2018 में (एसजीएफआइ) स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया अंडर-14 नेशनल एथलेटिक्स में दिव्या का चयन हुआ था। वह लंबी कूद की प्रतिभागी बनकर हरियाणा गई। एसजीएफआइ नेशनल में पटना रीजन से भी वह चुनी गई। इसके बाद दिव्या का चयन केंद्रीय विद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर हुआ, जिसमें भाग लेने दिल्ली और हिमाचल गई। इसमें दिव्या ने लंबी कूद और ऊंची कूद में स्वर्ण पदक हासिल किए। अभी वह अप्रैल में होने वाली राज्य स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता की तैयारी कर रही।
देश के लिए स्वर्ण लाने का सपना
दिव्या का कहना है कि मेरी मां का सपना था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर देश का नाम रोशन करूं। यह सपना ही मुझे हौसला देता है। अपनी मेहनत जारी रखूंगी और ओलंपिक में खेलने का मौका मिला तो देश के लिए स्वर्ण जीतूंगी।