Muzaffarpur News: सीएम नीतीश की पार्टी में बयान बहादुरों से आरसीपी सिंह युग में दूरी, इन्हें मिल सकती बड़ी जिम्मेवारी
मुजफ्फरपुर में पुलिस अधिकारी से नेता बने जेसी राम की जदयू में घटी पूछ। टिकट कटने के बाद अब राज्य कार्यकारिणी की बैठक से भी रहेंगे आउट। इसमें जिले के आधा दर्जन प्रभावकारी लोगाें को नहीं बुलाया गया है।
मुजफ्फरपुर, [अमरेन्द्र तिवारी]। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद सांसद आरसीपी सिंह ने प्रदेश से लेकर जिला व प्रखंड यूनिट का हिसाब-किताब लेना शुरू कर दिया है। मुजफ्फरपुर में भी यह चल रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जिले मे हुई हार के बाद प्रत्याशियों से मिले फीडबैेक को आधार पर कार्रवाई भी चल रही है। इसी कड़ी में जिला अध्यक्ष रजीत सहनी ने अपनी पूरी कमेेटी को भंग कर दिया है। वहीं दूसरी ओर पटना में राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद आरसीपी सिंह की देखरेख में होने वाली बैठक में आधा दर्जन लोगाें को नहीं बुलाया गया है। पहले से राज्य कार्यकारिणी के सदस्य रहे पूर्व पुलिस अधिकारी जेसी राम, वीण यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष हरिओम कुशवाहा, पूर्व प्रमुुख अनिल राम, वरीय नेता मेहंंदी हसन, अशोक सिंह को बुलावा अब तक नहीं आया है। जिलाध्यक्ष रंजीत सहनी ने कहा कि पहले से राज्य परिषद के सदस्य रहे छह लोगों तक बैठक की सूचना नहीं पहुंची है।
बैठक का बुलावा नहीं मिलने से खलबली
बैठक में जिलाध्यक्ष के साथ चारो जदयू प्रत्यााशी मो.जमाल, पूर्व विधायक महेश्वर यादव, मनोज कुशवाहा, विधायक अशोक चौधरी, शैलेश कुमार शैलू, ठाकुर हरिकिाशोर सिंह, अरुण कुशवाहा व विधानंद सिंह शामिल होंगे। उनको जिला कार्यालय की ओर से सूचना दे दी गई है। वैसे जिलाध्यक्ष ने कहा कि आगे क्या होगा, यह कहा नहीं जा सकता। दूसरे चरण की बैठक में हो सकता है कि पुराने के साथ कुछ नए को मौका मिल सकता है। लेकिन सबकुछ प्रदेश व राष्ट्रीय नेतृत्व पर निर्भर है। इसके साथ जदयू खेमा में बुलावा नहीं आने के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि राज्य स्तर पर गठित होने वाली नई समिति में कुछ नए लोगों को आगे मौका मिले। इसमें कुछ नए तो कुछ पुराने लोग शामिल हो सकते हैंं।
पद लेकर बैठने वाले हो रहे बाहर
जदयू में आरसीपी युग शुरू होने के बाद सत्ताधारी पार्टी के नाम पर सुविधा उठाने व सरकारी दफ्तर में धौंस दिखाने वाले को अब शायद ही बड़ा पद मिले। जानकारों की मानेंं तो सत्ता में रहने के बावजूद जिस तरह से जिले में मीनापुर व कांटी व गायघाट सीट पर जदयू की हार व अपने गठबंधन दल भाजपा के प्रत्यााशी की शहर, कुढनी में हार को शीर्ष नेतृत्व पचा नहीं पा रहा है। अंदर खाने मे जो चर्चा है उसके हिसाब से अगर संगठन के पुराने व पदधारक हल्का धक्का देते तो जिले मेें एनडीए का बेहतर स्कोर रेट होता। इसको लेकर जदयू के साथ भाजपा भी मंथन में जुटा है। जिला प्रवक्ता कुंदन शांडिल्य ने कहा कि राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद नए तरीके से जिला से लेकर प्रखंड कमेेटी का विस्तार कर दिया जाएगा। जिला संगठन प्रभारी अशरफ अंसारी के निर्देश पर जिलाध्यक्ष ने अपनी कमेेटी भंग की है। इसके साथ पांच प्रखंड की यूनिट कांटी, सकरा, मुरौल, गायघाट, मीनापुर की प्रखंड कमेेटी भंग है।
जेसी राम व वीणा यादव उतरे थे चुनाव मैदान में
डीएसपी से सेवानिवृत होने के बाद जयचन्द्र राम जदयू में आए और राज्य परिषद के सदस्य बने। उसके बाद पार्टी में काम कर रहे थे। उन्होंने बोचहां सुरक्षित सीट से अपनी दावेदारी पेश की। टिकट के लिए बाढ़ व कोरोना महामारी में लगातार जनता के बीच जाकर राहत का वितरण करते रहे। लेकिन, चुनाव के समय एनडीए के गठबंधन में यह सीट वीआइपी को चली गई तो उनका पत्ता कट गया। उसके बाद वेे बागवत कर निर्दल चुनाव लड़े। इसी तरह से वीणा यादव भी मीनापुर से टिकट चाहती थींं। लेकिन उनको टिकट नहींं मिला और वह बागवत कर चुनाव लड़ गईंं। इस तरह से कई नेता भीतरधात करने के आरोप में पार्टी से बाहर हुए हैं।