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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व छठ का समापन, चरम पर दिखी भक्ति

मुजफ्फरपुर शहर सहित उत्तर बिहार के सभी ज‍िलों में प्रात:कालीन अर्घ्‍य के दौरान घाटों पर उमड़े लोग, छठी मइया की भक्ति में डूबे लोग।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 03:40 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 07:53 AM (IST)
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व छठ का समापन, चरम पर दिखी भक्ति
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व छठ का समापन, चरम पर दिखी भक्ति

मुजफ्फरपुर (जेएनएन)। लोक आस्था के महान पर्व छठ का दूसरा अर्घ्य बुधवार को दिया गया। इसके साथ ही महापर्व का समापन हो गया। इसके iपूर्व पहला अर्घ्य मंगलवार को भक्ति के साथ दिया गया। पूजा के दौरान भक्ति चरम पर द‍िखी। उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने पारण के साथ अपने 36 घंटें का न‍िर्जला व्रत को समाप्त किया। मुजफ्फरपुर ज‍िला सहित उत्तर बिहार के सभी ज‍िलों में स्थित घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। उत्तर बिहार के पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के अलावा मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी व दरभंगा में हर तरफ छठी मइया की भक्ति दिख रही थी। छठ के गीतों से वातावरण गुंजायमान रहा। अर्घ्य  देने के पूर्व व्रतियों ने पानी में खड़ा होकर सूर्य का ध्यान लगाया। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में स्थित छठ घाटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। लाइटिंग की सजावट देखते ही बन रही थी। घाटों पर व्रतियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसपर पूरा ध्यान दिया जा रहा था। घाटों पर सुरक्षा के लिए दंडाधिकारी, पुलिस अधिकारी के अलावा पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई थी। 
व्रतियों ने भ्‍रा कोसी, जलाया दीप

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मंगलवार को सांध्यकालीन अर्घ्य के बाद व्रतियों ने विधिपूर्वक कोसी भरा। इसके बाद पूजा की गई। कोसी का दीप जलाया। पहला अर्घ्य देने के बाद रात्रि पहर घर पर कोसी भरकर दीप जलाकर पूजा की गई। इसके बाद देर रात घाट पर भी कोसी का दीप जलाया  गया। यहां बता दे कि नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय लोक उपासना के पर्व छठ की शुरूआत रविवार को हुई थी। पर्व के दूसरे दिन सोमवार को खरना की पूजा की गई।  तीसरे दिन सांध्यकालीन अर्घ्य के बाद बुधवार को प्रात:कालीन अर्घ्य दिया गया। छठ घाटों की स्थिति पर जिला प्रशासन के अधिकारी नजर रखे हुए थे। अधिकारियों की टीम घाटों का लगातार निरीक्षण कर रही थी। इस क्रम में घाटों पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी सहित पुलिस अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे थे। एनडीआरएफ की टीम को सक्रिय कर रखा गया था। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासनिक स्तर पर हर आवश्यक इंतजाम किए गए थे।


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