बिचौलियों की वजह से विकास की रोशनी की चमक नहीं दिख रही
भ्रष्टाचार की सुरंग में गुम हो जा रही विकास की रोशनी। जर्जर सड़क-पुलिया और उच्च शिक्षा की बदतर व्यवस्था कायम। पुल-पुलिया की स्थिति बदतर।
मुजफ्फरपुर, [प्रमोद कुमार]। धीरे-धीरे ही सही, जिले के लोगों पर चुनावी रंग चढ़ता जा रहा है। बोचहां प्रखंड मुख्यालय से सटे गरहा गांव। सुबह में धूप बहुत कड़ी तो नहीं, लेकिन गर्मी का एहसास करा रही थी। पेड़ के समीप चुनावी चर्चा में बुजुर्गों की टोली मशगूल थी। सड़क की स्थिति से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक बातें हो रही थीं। सबकी अलग-अलग राय थी। इस चुनाव में मुद्दा क्या होगा? जब मैंने यह जानने की कोशिश की तो हरिहर राय (82) बोले, भ्रष्टाचार।
यह विकास की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है। सड़क, बिजली, पानी, शौचालय जैसी अधिकांश सुविधाएं लोगों को मिल रहीं, लेकिन बिचौलियों की वजह से विकास की रोशनी की चमक नहीं दिख रही। पास बैठे रामसागर राय भी इससे सहमत दिखे। इस बीच मनोहर साह वहां पहुंचते हैं। बिना किसी पूर्व भूमिका के शुरू हो गए। कहने लगे, भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है। सबको ईमानदार होना होगा। नेता को भी, अधिकारी को भी, तभी बात बनेगी।
मैं आगे बढ़ता हूं।
रास्ते में मिर्जापुर के मो. तस्लीम (80) मिले। चुनावी मुद्दे की बात शुरू करते ही एक जर्जर पुलिया की ओर इशारा किया। मिर्जापुर-गरहा को जोडऩे वाली यह पुलिया आजादी के पूर्व बनी थी। अब इसकी स्थिति बदतर हो गई है। वे इशारे में सबकुछ कहकर आगे चले गए। बोचहां प्रखंड मुख्यालय के पास दुकानें सज चुकी हैं। चाय-पान की दुकान पर जमे लोग चुनावी चर्चा में मशगूल हैं। सभी यह कयास लगा रहे कि भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले कौन होगा? चर्चा में शामिल राजीव भगत कहते हैं मुद्दे उम्मीदवार तय करते हैं। जब जॉर्ज जैसा उम्मीदवार होता है तो सभी चीजें गौण हो जाती हैं।
मुंह चिढ़ा रही जर्जर सड़क
बोचहां प्रखंड बाजार से आगे की सड़क पूरी तरह जर्जर है। यहां के जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की कार्यशैली को बताने के लिए यह काफी है। अस्पताल के पास लाठी के सहारे सड़क पार कर रहे पलदार पासवान ( 84) भी स्थानीय समस्याओं को ही चुनावी मुद्दा मानते हैं। वहां से थोड़ा आगे बढऩे पर पारस नाथ राजकीय मध्य विद्यालय पर नजर पड़ती है। बच्चे मैदान में खेल रहे हैं। वहीं खड़ी चुनिया देवी कहती हैं कि सड़क जर्जर होने के कारण बच्चे रोज चोटिल हो जा रहे हैं।
छलका एक भी कॉलेज नहीं होने का दर्द
बोचहां प्रखंड में उच्च शिक्षण संस्था नहीं होने के कारण होने वाली परेशानी की चर्चा कई लोगों ने की। चंदन बखरी की रेणु कुमारी हों या मिर्जापुर की नूसरत, कहती हैं पूरे प्रखंड में एक भी कॉलेज होता तो लड़कियों को शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। कई लड़कियां इस वजह से आगे की पढ़ाई ही नहीं कर पातीं।