मुजफ्फरपुर के बाल गृह से 28 बच्चे भेज दिए गए घर, विभाग व प्रशासन को जानकारी नहीं
बाल गृह में रहने वाले 39 बच्चों के बारे में विभाग ने मांगी थी रिपोर्ट। डीएम ने बाल गृह के निरीक्षण के बाद बताया, पुनर्वासित कर दिए गए थे 28 बच्चे।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। राज्य के बालिका गृह में गड़बड़ी सामने के बावजूद आश्रय गृह संचालकों की लापरवाही नहीं थम रही। सिकंदरपुर स्थित बाल गृह से 28 बच्चों को उनके घर भेज दिया गया। मगर, इसकी जानकारी न तो विभाग को थी और न प्रशासन को। यह मामला तब सामने आया जब विभाग ने ऐसे 39 बच्चों के बारे में रिपोर्ट मांगी जो घर का पता बता रहे थे।
मगर, उन्हें घर नहीं भेजा गया था। मामले की बाल गृह पहुंचकर जब डीएम मो. सोहैल ने पड़ताल की तो यहां की लापरवाही सामने आई। यहां से ऐसे 28 बच्चों को पुनर्वासित कर दिया गया था। मगर, यह जानकारी विभाग व प्रशासन को नहीं थी। यहां सवाल उठ रहे कि आश्रय गृह के संचालक ने इसकी जानकारी विभाग या प्रशासन को दी थी या नहीं।
एक-एक बच्चों का किया गया सत्यापन
मालूम हो कि समाज कल्याण विभाग के निदेशक ने जिला बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक से रिपोर्ट मांगी थी। इसमें कहा गया था कि घर का पता बताने वाले 39 बच्चों को बाल गृह में क्यों रखा गया है। मीडिया में यह खबर आने के बाद प्रशासन के आला अधिकारी बाल गृह जांच के लिए पहुंच गए। डीएम के नेतृत्व में एसएसपी मनोज कुमार, डीडीसी उज्ज्वल कुमार सिंह समेत पूरा महकमा बाल गृह पहुंचा। निरीक्षण के बाद डीएम ने बताया कि एक-एक बच्चे का सत्यापन किया गया।
पता बताने वाले 28 बच्चों को पुनर्वासित कर दिया गया। शेष 11 को भी पुनर्वासित कराने की प्रक्रिया चल रही। वहीं यहां रह रहे अन्य बच्चों के बारे में भी जानकारी ली गई। इसमें से कई बच्चे यह बता रहे कि उसके गांव या स्टेशन जाने पर घर जा सकते। ऐसे बच्चों को अभिभावकों तक पहुंचाने के लिए रविवार को बाल कल्याण समिति समिति (सीडब्लयूसी) की विशेष बैठक होगी।
डीएम ने बताया कि 15 बच्चे बिहार, आठ यूपी, मध्यप्रदेश व पश्चिमी बंगाल व तीन बच्चे नेपाल के हैं। नेपाल के दो बच्चों के अभिभावक रविवार को यहां आएंगे। वहीं बिहार के बच्चों को सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद घरों तक भेजने की कोशिश होगी। मजिस्ट्रेट के साथ उन्हें भेजा जाएगा। बच्चे जो भी थोड़ी बहुत जानकारी दे रहे उसके आधार पर संबंधित जिले के सीडब्ल्यूसी से समन्वय बनाकर पुनर्वासित कर दिया जाएगा। जो बच्चे अभिभावक तक नहीं पहुंच सकेंगे उन्हें वापस ले आया जाएगा।