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West Champaran: अमेर‍िका, ऑस्‍ट्रेल‍िया समेत विदेशों में खुशबू बिखेर रहा थारुओं के खेत का चावल

West Champaran अमेरिका आस्ट्रेलिया चीन और दुबई तक है दोन के बासमती की डिमांड थारूमती बासमती के नाम से दूसरे शहरों में बिक रहा रामनगर का चावल थारूमती बासमती चावल के नाम से व्यवसायी इसे बाहर भेजते हैं।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 04:08 PM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 04:08 PM (IST)
West Champaran: अमेर‍िका, ऑस्‍ट्रेल‍िया समेत विदेशों में खुशबू बिखेर रहा थारुओं के खेत का चावल
पश्‍च‍िम चंपारण के थारूमती बासमती की मांग व‍िदेशों में भी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पश्चिम चंपारण (बगहा), जासं। पश्चिम चंपारण के रामनगर इलाके में उत्पादित बासमती धान के चावल की विदेशों में मांग है। इसे अमेरिका, आस्ट्रेलिया, दुबई और चीन तक भेजा रहा है। स्थानीय बाजार के अलावा इसे दिल्ली, पटना, गोरखपुर भेजा जाता है। इस बार बेंगलुरु और मुंबई से भी आर्डर हैं। रामनगर के व्यवसायी 'थारूमती बासमती' चावल के नाम से इसे बाहर भेजते हैं। हर साल लगभग 1000 क्विंटल का कारोबार हो रहा है। हालांकि कोरोना काल में इसमें गिरावट आई है, लेकिन इस बार फिर तेजी देखी जा रही है। थारू बहुल प्रखंड के दोन इलाके के चुल्हिया टोक और ढोकनी गांव में बासमती धान की खेती सबसे अधिक होती है। यहां का चावल सबसे पतला और खुशबू से भरपूर होता है। दोन इलाके में करीब 100 एकड़ में बासमती धान की खेती होती है। उत्पादन मुनासिब होने से किसान लंबे समय से इसकी खेती कर रहे। हालांकि करीब एक दशक पूर्व 200 एकड़ से अधिक क्षेत्र में बासमती धान की खेती होती थी।

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पूर्व की अपेक्षा आधे भाग में उग रही बासमती 

ढोकनी दोन के किसान कृपानाथ साह ने बताया कि एक दशक पहले तक बड़े स्तर पर बासमती उगाते थे। इसके भंडारण की समस्या के कारण कीमत कम मिलती। रामकिशुन महतो ने बताया कि बासमती उपजाने में लागत अधिक है। दूसरा चावल बेहद पतला है। इस वजह से अन्य चावलों के मुकाबले पैदावार कम होती है। जैविक तरीके से इसकी खेती होने से खर्च अधिक आता है। खेती के लिए किसी भी किसान को सरकारी सहयोग नहीं मिलता।

नेपाल से लेकर विदेश के कई देशों में मांग

चुल्हिया टोक गांव के बाल किशुन उरांव ने बताया कि नेपाल और विदेश के कई देशों में चावल की मांग है। स्थानीय लोगों के परिवार के सदस्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, चाइना आदि में है। उनकी मांग पर धान लगाया जाता है। प्रभु उरांव ने बताया कि बीते दो वर्षों से कोरोना के कारण विदेशी संपर्क कम रहने से मांग कम रही। धान का भाव 120 रुपये किलो तक है। वहीं इसका तैयार चावल 150 रुपये तक बिकता है। रामनगर अंचलाधिकारी विनोद मिश्रा ने बताया कि रामनगर के दोन की बासमती चावल की खुशबू बाजार के चावल के मुकाबले काफी अच्छी है।

थारूमती बासमती के नाम चावल की मार्केटिंग 

रामनगर के चावल व्यवसायी सुशील छापोलिया इसकी मार्केटिंग 'थारूमती बासमती' चावल के नाम से करते हैं। इस चावल को दूसरे शहर के बाजार में बेचते हैं। बताया कि अभी दिल्ली, पटना, गोरखपुर तक सप्लाई दी जाती है। मार्च बाद बंगलोर और मुंबई का आर्डर मिला है।

-- रामनगर के दोन इलाके की बासमती धान को जैविक कॉरिडोर में शामिल करने के लिए पत्राचार करेंगे।

प्रदीप तिवारी, प्रभारी कृषि पदाधिकारी, रामनगर


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