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Muzaffarpur News: कोरोना संकट में बढ़ी शहद की मिठास, बीते दो-तीन माह में 20 फीसद बढ़ी मांग

लॉकडाउन से पहले 70-80 रुपये प्रतिकिलो बिक रहा था शहद अभी 130 में खरीद रहीं कंपनियां। पिछले साल के मुकाबले इस बार मांग में 20 फीसद की बढ़ोतरी 15 हजार मधुमक्खी पालकों को फायदा।

By Murari KumarEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 05:34 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 05:34 PM (IST)
Muzaffarpur News: कोरोना संकट में बढ़ी शहद की मिठास, बीते दो-तीन माह में 20 फीसद बढ़ी मांग
Muzaffarpur News: कोरोना संकट में बढ़ी शहद की मिठास, बीते दो-तीन माह में 20 फीसद बढ़ी मांग

मुजफ्फरपुर [राकेश कुमार]। आर्थिक संकट से जूझ रहे मधुमक्खी पालकों के लिए कोरोना संकट संजीवनी बनकर सामने आया है। बीते दो-तीन माह में शहद की मांग 20 फीसद बढ़ी है। दाम में भी डेढ़ गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। स्थिति यह है कि मधुमक्खी पालक कंपनियों को मांग के अनुरूप शहद उपलब्ध नहीं करा पा रहे।

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जिले में तकरीबन 15 हजार मधुमक्खी पालक हैं। ये प्रतिवर्ष 60-70 लाख टन शहद का उत्पादन करते हैं। मार्च में जब लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी, तब मधुमक्खी पालकों के सामने रोजी-रोजी का संकट खड़ा हो गया था। बिक्री कम थी। व्यापारी नहीं आ रहे थे। लेकिन, एक महीने बाद कोरोना से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने सहित विभिन्न प्रकार के घरेलू उपयोग में शहद की खपत बढ़ गई। इस बीच चीन से बिगड़े रिश्ते से वहां से शहद भी आना बंद हो गया। डिमांड ज्यादा और माल कम होने से पालकों को दाम अधिक मिलने लगा।  लॉकडाउन से पहले जो शहद कंपनियां 70-80 रुपये प्रतिकिलो खरीदती थीं, अब उसकी कीमत 130 रुपये तक मिल रही है। इस दर पर मधुमक्खी पालककरीब 30-40 हजार किलोग्राम से अधिक शहद बेच चुके हैं। पालक इस समय उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड व छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में शहद उत्पादन में लगे हैं।

 तिरहुत मधु उत्पादन सहकारी परिसंघ के चेयरमैन शंकर प्रसाद कुशवाहा कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान जिले में करीब साढ़े सात लाख मधुमक्खियों की मौत हो गई थी। कारण यहां शहद उत्पादन का समय समाप्त हो गया था। पालक मधुमक्खियों के बक्से लेकर दूसरी जगह नहीं जा पा रहे थे। इससे उन्हें काफी घाटा हुआ था। लेकिन, अनलॉक के बाद पालकों के पास जो शहद था, उसकी अच्छी कीमत मिलने लगी है।

कोरोना के चलते मांग में बढ़ोतरी

मुसन मधुवटी के प्रोपराइटर दयानंद सिंह की मानें तो इस बार पुराने के साथ बड़ी संख्या में नए खरीदार भी आ रहे हैं। आयुर्वेदिक कंपनियां दवा बनाने, लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने सहित अन्य में पहले की अपेक्षा शहद का ज्यादा उपयोग करने लगे हैं। इससे मांग वर्तमान समय में पिछले वर्ष की तुलना में 20 फीसद तक बढ़ी है।

बेहतर गुणवत्ता के लिए रिसर्च सेंटर की हो स्थापना

बिहार मधुमक्खी पालक संघ के अध्यक्ष दिलीप कुशवाहा का कहना है कि शहद का अच्छा रेट मिलेगा तो पालकों को फायदा होगा। उनका व्यवसाय भी बढ़ेगा। सरकार को मधुमक्खी पालकों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। शहद की बेहतर गुणवत्ता के लिए रिसर्च सेंटर व अच्छे लैब की व्यवस्था करनी चाहिए। शहद उत्पादक रमेश सहनी, कारोबारी दिलीप कुमार शर्मा और अजय कुमार पाठक ने बताया कि डिमांड बढऩे से कई वर्षों बाद अच्छा दाम मिल रहा है। लेकिन, ऑफ सीजन होने के कारण शहद उपलब्ध नहीं है।


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