Move to Jagran APP

Valentines Day week : प्यार जैसे खूबसूरत अहसास के इजहार के लिए स्मारकों को नुकसान पहुंचाना, ना-बाबा-ना

Valentines Day week सार्वजनिक स्थलों पर शरारती तत्वों की बढ़ती सक्रियता चिंताजनक। भोंडा प्रदर्शन और अपसंस्कृति गलत।

By Ajit KumarEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 01:29 PM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 01:29 PM (IST)
Valentines Day week : प्यार जैसे खूबसूरत अहसास के इजहार के लिए स्मारकों को नुकसान पहुंचाना, ना-बाबा-ना
Valentines Day week : प्यार जैसे खूबसूरत अहसास के इजहार के लिए स्मारकों को नुकसान पहुंचाना, ना-बाबा-ना

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। Valentine Day के साथ-साथ अब तो पूरा सप्ताह ही मनाया जाता है। यह प्यार जैसे खूबसूरत अहसास को महसूस करने का बेहतर मौका है। न केवल महसूस करने वरन यह इजहार-ए-प्यार का भी अवसर माना जाता है। लेकिन, इस क्रम में कुछ ऐसी चीजें हो जाती हैं जो किसी को अच्छा नहीं लगता। राष्ट्रीय स्मारकों पर नाम लिखना या प्यार के संदेशों को लिखना भी इसी तरह का काम है।

loksabha election banner

  सार्वजनिक स्थलों पर यह भोंडा प्रदर्शन पवित्र प्रेम को कलंकित करने जैसा ही है। राष्ट्रीय स्मारकों को नुकसान पहुंचाना भी ऐसा ही है। स्मारक की दीवारों पर नाम सहित अन्य आपत्तिजनक बातें लिखने से कोई भी सहमत नहीं है। आमतौर पर ऐसे कृत्य शरारती तत्वों द्वारा ही किए जाते हैं। इसकी बानगी पूर्वी चंपारण के केसरिया स्थित बौद्ध स्तूप पर भी देखी जा सकती है। स्तूप की दीवारों पर नाम सहित कई संकेत चिह्न नजर आते हैं।

युवाओं की इस प्रवृत्ति के बारे में एमएस कॉलेज मोतिहारी के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार कहते हैं कि भारत एक ऐसा देश हैं जहां के कवियों और संतों ने प्रेम के तराने गाए हैं। हिंदी साहित्य में एक पूरा प्रकरण ही 'प्रेम मार्गी' शाखा के नाम से विख्यात है। जहां तक वेलेंटाइन वीक स्पेशल की बात है तो इस अवसर पर अपने इश्क के इजहार के लिए राष्ट्र के धरोहरों पर किसी तरह का संदेश अंकित करना गलत है। नाम अथवा किसी तरह का संदेश लिखे जाने की प्रवृत्ति को निषेध किया जाना चाहिए। इस कुत्सित कर्म को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में दर्ज किया जाना चाहिए। यह शरारती तत्वों द्वारा किया जानेवाला गंभीर अपराध है। यह देश संत कबीर और सूफियों का है। जिन्होंने प्रेम की महिमा का खूब बखान किया गया है। प्रेम कीजिए, मगर प्रेम का प्रपंच मत कीजिए। यहां का हर दिन, हर रात, हर ऋतु प्रेम के लिए है। कोई तिथि नहीं, कोई सप्ताह नहीं, कोई रोक-टोक नहीं।

प्रेम के नाम पर अपसंस्कृति क्यों


मोतिहारी की चेतना कुमारी ने कहा कि वेलेंटाइन डे के नाम पर सार्वजनिक स्थलों पर किया जाने वाला प्रदर्शन कहीं से उचित नहीं है। न तो यह हमारी संस्कृति में है और न ही हमारे देश में कभी इसका प्रचलन था। फिर क्यों कर हम ऐसा करते हैं।

ऐसा प्रदर्शन अपसंस्कृति


मोतिहारी की ही अपूर्वा राज ने कहा कि वैलेंटाइन डे के नाम पर राष्ट्र के धरोहर को नुकसान पहुंचाना अक्षम्य है। इस पर अंकुश लगना चाहिए। किसी भी सार्वजनिक स्थल पर तथाकथित प्रेम का प्रपंच गलत है। यह हमारी संस्कृति के अनुकूल नहीं है। हमें इससे बचना चाहिए।

धरोहर को बचाएं


ज्योति कुमारी कहती हैं कि प्यार के भोंडे प्रदर्शन के लिए देश के धरोहर को गंदा करना बहुत ही गलत है। बच्चे भी बड़ों से ही सीखते हैं। उन्हें हम यह कैसा संदेश दे रहे हैं। प्यार में दिखावा के लिए कोई स्थान नहीं है। हमें चाहिए कि अपसंस्कृति से बचते हुए हम अपने धरोहरों की रक्षा करें।

राष्ट्रीय धरोहर को करें संरक्षित


रविकांत पांडेय ने कहा कि हमारी संस्कृति की बुनियाद ही प्रेम है। यह हमें एक-दूसरे से जोड़ती है। हमारे राष्ट्रीय धरोहर, स्कृति के प्रतीक हैं। हम उनको संरक्षित करें। सार्वजनिक स्थलों पर ऐसा प्रदर्शन अपसंस्कृति है।

अपनी परंपरा का सम्मान करें


कंचन साहनी ने कहा कि वेलेंटाइन डे की आड़ में ऐसा प्रदर्शन कहीं से उचित नहीं है। प्रेम का संदेश तो हमारी संस्कृति के मूल में हैं। फिर हम धरोहरों को क्यों नुकसान पहुंचाएं। युवा वर्ग को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। देश की संस्कृति हमारी आन, बान और शान है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.