Move to Jagran APP

तन-मन के साथ कारोबार को भी सेहतमंद कर रहा दूध

मुजफ्फरपुर तन-मन को स्वस्थ रखने के साथ ही कारोबार को भी दूध सेहतमंद बना रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 12:29 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 06:15 AM (IST)
तन-मन के साथ कारोबार को भी सेहतमंद कर रहा दूध
तन-मन के साथ कारोबार को भी सेहतमंद कर रहा दूध

मुजफ्फरपुर : तन-मन को स्वस्थ रखने के साथ ही कारोबार को भी दूध सेहतमंद बना रहा है। संपूर्ण आहार माने जाने वाले दूध का उपयोग घर-घर हो रहा है।

loksabha election banner

दूध की खपत अधिक होने के साथ ही इस क्षेत्र में व्यवसाय को भी बढ़ावा मिला। पशुपालकों के लिए भी आर्थिक विकास के रास्ते खुले। दूध व्यवसाय को बढ़ावा मिला तो इस क्षेत्र में रोजगार के भी अवसर खुले। सैकड़ों लोगों को इस क्षेत्र मे रोजगार मिला। जिले में पिछले कुछ वर्षो में कई बड़े कारोबारियों ने दूध व्यवसाय के क्षेत्र में कदम बढ़ाएं। जिसका नतीजा यह हुआ कि दूध की किल्लत खत्म होने के साथ रोजगार के भी अवसर खुले। दूध के साथ ही पनीर, दही, लस्सी, मिठाई आदि उपभोक्ताओं को आसानी से मिलने लगीं।

तिरहुत दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ (तिमुल) में फिलहाल दो लाख 20 हजार लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसमें करीब एक लाख 40 हजार दूध की खपत हो रही है। जबकि 50 लीटर दूध से बनी सामग्री की खपत है। तिमुल के एमडी अरविंद कुमार ने कहा कि मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी व पश्चिम चंपारण, सिवान व गोपालगंज में चार हजार सहयोग समितियां हैं। एक लाख 57 हजार परिवार इससे जुड़े हैं। हर परिवार औसतन तीन लीटर दूध की आपूर्ति करते हैं। गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरने की वजह से तिमुल के उत्पाद 'सुधा' को लेकर लोगो में विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

-------------------

दूध उत्पादन बढ़ाने को

संकर नस्ल को बढ़ावा

2003 में हुए सर्वे में जिले में कुल सात लाख 11 हजार 299 दुधारु पशु थे। इनमें गो प्रजाति के चार लाख 11 हजार 401 एवं भैंस प्रजाति के दो लाख 99 हजार 898 मवेशी थे। मगर 2009-10 के सर्व के अनुसार इनकी संख्या पांच लाख 40 हजार 374 तक पहुंच गई। इनमें गो प्रजाति की 3 लाख 2 हजार 257 व भैंस प्रजाति की 2 लाख 38 हजार 117 हैं। 2019 में हुई पशु गणना की रिपोर्ट अब तक प्रकाशित नहीं हुई है। दूध उत्पादन सहयोग समितियों का दावा है कि दूध का उत्पादन बढ़ा है। कारण यह है कि पशुपालकों में उत्पादन बढ़ाने के लिए विदेशी नस्ल को पालने का प्रचलन बढ़ा है।

-----------

कोट :

'दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए संकर नस्ल पर जोर दिया जा रहा है। देशी नस्ल को क्रास कराया जा रहा है। दूध का उत्पादन बढ़ा है। इसके साथ ही खपत भी बढ़ी है।'

- डॉ. मनोज कुमार, जिला पशुपालन अधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.