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देश के इस राज्‍य में प्‍लास्टिक कचरे से बन रहा क्रूड ऑयल, बिक रहा 45 रुपये लीटर

एक किलो प्लास्टिक से सात सौ मिली क्रूड ऑयल निकल रहा है। खर्च प्रति लीटर पर 35 रुपये, जबकि बिक्री 45 रुपये प्रति लीटर है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 12 Jul 2018 04:30 PM (IST)Updated: Thu, 12 Jul 2018 06:50 PM (IST)
देश के इस राज्‍य में प्‍लास्टिक कचरे से बन रहा क्रूड ऑयल, बिक रहा 45 रुपये लीटर
देश के इस राज्‍य में प्‍लास्टिक कचरे से बन रहा क्रूड ऑयल, बिक रहा 45 रुपये लीटर

मुजफ्फरपुर [प्रेमशंकर मिश्र]। बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी एक युवक ने प्लास्टिक से क्रूड ऑयल बनाने में सफलता पाई है। इस महंगी युक्ति को उसने देसी प्लांट के जरिये सस्ता बना दिया। एक किलो प्लास्टिक से सात सौ मिली क्रूड ऑयल निकल रहा है। खर्च प्रति लीटर पर 35 रुपये, जबकि बिक्री 45 रुपये प्रति लीटर है।

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स्थानीय औद्योगिक क्षेत्र में स्थित विभिन्न फैक्ट्रियों से निकले प्लास्टिक कचरे को संतोष गत डेढ़ साल से तेल में बदल रहा है। कार्बन के रूप में बचे अवशेष का उपयोग पिगमेंट (रंग) बनाने में किया जा रहा है। संतोष ने गहन अध्ययन के बाद यह तकनीक सीखी, फिर देसी तरीके से प्लांट बनाया। इस सफलता के बाद अब वह प्लांट को बड़ा रूप देकर पेट्रोल व डीजल निकालने के लक्ष्य पर काम रहे हैं।

40 वर्षीय संतोष की साइंस में बचपन से ही गहरी रुचि रही है। उनकी इच्छा वैज्ञानिक बनने की थी। सोच वैज्ञानिक थी, सो कुछ न कुछ रिसर्च करते रहते थे। आर्थिक तंगी की वजह से इंटर साइंस के बाद आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके और एक फैक्ट्री में काम करने लगे। वे शोध करना चाहते थे।

इसी क्रम में उन्होंने प्लास्टिक व पेट्रोलियम के अणुसूत्र का गहराई से अध्ययन किया। कई किताबें पढ़ीं। सोशल साइटों को खंगाला और पाया कि प्लास्टिक को तोड़ा जाए तो पेट्रोलियम पदार्थ निकाला जा सकता है। विदेश में कुछ उद्योग यह काम कर रहे हैं। संतोष ने सीखा और प्रयोग शुरू किया। सफलता मिलती चली गई। लेकिन, सबसे बड़ी बाधा प्लांट तैयार करने की थी। क्योंकि, प्रयोग के दौरान सारी जमा पूंजी खर्च हो गई। मगर, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। घरेलू कामकाज व कबाड़ में फेंकी गईं वस्तुओं के इस्तेमाल से ही प्लांट तैयार कर डाला। कुछ चीजें कर्ज लेकर खरीदीं। मेहनत रंग लाई। आज इस देसी प्लांट से ऑयल निकल रहा है। पांच बेरोजगारों को रोजगार देने में भी वे सफल हुए।

ऐसे बनता है प्लास्टिक से तेल

चैंबर में एक बार में 40 किलो प्लास्टिक का कचरा डालकर उसे गर्म किया जाता है। उत्प्रेरक के रूप में जियोलाइट का इस्तेमाल किया जाता है। 250 डिग्री सेल्सियस पर यह पिघलना शुरू हो जाता है। 350 से 500 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने पर इसकी भाप चैंबर से जुड़ी नली के सहारे टैंक की ओर जाती है। इसमें लगे शीतलक के कारण टैंक तक पहुंचते- पहुंचते यह द्रव्य (लिक्विड) रूप में आ जाता है। इसे ऑयल के रूप में निकाल लिया जाता है। एलएस कॉलेज में रसायन शास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ. शशि कुमारी सिंह कहती हैं कि यह उत्पाद क्रूड ऑयल है। चिमनी व अन्य फैक्ट्रियों में यह ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है। इस कारण इसकी बिक्री आसानी से हो जाती।

संतोष का प्रयोग बड़े स्तर पर सफल हो जाएगा तो नगर विकास व आवास विभाग प्लास्टिक कचरे से क्रूड ऑयल का निर्माण राज्य के सभी निगम क्षेत्रों में कराएगा। इससे कचरा प्रबंधन के साथ-साथ प्रदूषण को भी नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। संतोष को भी मदद दी जाएगी।

सुरेश कुमार शर्मा, मंत्री नगर विकास व आवास विभाग, बिहार सरकार 


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