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मुजफ्फरपुर के सरकारी बस स्टैंड से करोड़ों के बकाया और लगान की होगी वसूली

5.11 एकड़ खासमहाल की जमीन वर्ष 1963 में 30 साल के लिए दी गई थी लीज। लीज समाप्त होने के बाद इसका नवीकरण नहीं कराया गया। 2.5 करोड़ से अधिक का बकाया स्टैंड खाली होने पर जमीन कब्जे में ली जाएगी।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 08:37 AM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 08:37 AM (IST)
मुजफ्फरपुर के सरकारी बस स्टैंड से करोड़ों के बकाया और लगान की होगी वसूली
अब लगान वसूली की कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है। फोटो: जागरण

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। वर्षों से इमलीचट्टी में चल रहे बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के बस स्टैंड को लेकर फिर विवाद पैदा हो सकता है। ऐसा इसलिए की राजस्व विभाग ने लीज पर दी गई खासमहाल की इस जमीन पर करोड़ों रुपये बकाया वसूली करने को कहा है। इसके अलावा लीज का नवीकरण कराने का भी निर्देश दिया है। चकबंदी अनुदेशक अनिल कुमार सिंह ने मुजफ्फरपुर के समाहर्ता प्रणव कुमार को पत्र भेजा है। इसमें लिखा है कि खासमहाल की जमीन पथ निर्माण निगम को वर्ष 1963 में तीस वर्षों की लीज पर दी गई थी। लीज समाप्त होने के बाद इसका नवीकरण नहीं कराया गया। लीज नवीकरण को लेकर विभाग को दो बिदुओं पर रिपोर्ट दी जाए। प्रविधान के अनुसार बकाया, सलामी एवं वार्षिक लगान की वसूली की कार्रवाई की जाए।

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शुल्क को माफ करने का अनुरोध

विदित हो कि बिहार राज्य पथ निर्माण निगम पर ढाई करोड़ रुपये बकाया को देखते हुए पूर्व के खासमहाल पदाधिकारी ने लीज रद करने एवं बस स्टैंड को यहां से हटाने की अनुशंसा सरकार से की थी। कहा था कि 5.11 एकड़ जमीन की लीज का नवीकरण नहीं कराया। साथ ही निगम ने बकाया ढाई करोड़ रुपये का भुगतान भी नहीं किया। इसे देखते हुए इमलीचट्टी स्थित उक्त जमीन पर परिवहन निगम का दखल-कब्जा बना रहना उचित नहीं है। वहीं जिला प्रशासन ने नवीनीकरण के लिए परिवहन निगम से 77 लाख 67 हजार 200 रुपये की भी मांग की थी। निगम ने लोकोपयोगी संस्था होने का हवाला देकर उक्त शुल्क को माफ करने का अनुरोध किया था। परिवहन निगम के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद अब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका।

किस रूप में उपयोग हो, इसकी भी मांगी रिपोर्ट

अनुदेशक ने कहा कि बड़ा स्टैंड को अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने पर जमीन को तत्काल कब्जे में लिया जाए। साथ ही इस जमीन का उपयोग किस रूप में किया जाए उसका प्रस्ताव भी सरकार को भेजा जाए। इसके बाद विभाग आगे कोई निर्णय लेगा।  


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