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मधुबनी में धान के किसानों में इस वजह से है त्राहिमाम की स्थिति

किसानों को धान का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसानों में त्राहिमाम की स्थिति कायम है। सरकार के स्तर पर अब तक किसानों से धान खरीदने की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं। सीमावर्ती इलाकों में बिचौलिया पैक्स अध्यक्षों के लिए धान खरीदने खरीदने में सक्रिय।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 10:21 AM (IST)
मधुबनी में धान के किसानों में इस वजह से है त्राहिमाम की स्थिति
किसानों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है। फोटो : जागरण

मधुबनी, जेएनएन। जयनगर अनुमंडल के सभी पंचायतों में खेतों में लगे खरीफ फसल धान कटाई की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। किसान धान कटाई के साथ ही उसे तैयार भी कर रहे हैं। इलाके के लघु एवं सीमांत किसान धान बेचकर ही रबी फसल गेहूं की बुआई करते हैं। किसानों को धान का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसानों में त्राहिमाम की स्थिति कायम है। किसानों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है।

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आठ से दस रुपये किलो धान बेचने को मजबूर किसान

किसान अपने धान के फसल को आठ से दस रुपये प्रति किलो बेचने को मजबूर हैं। जिसमें किसानों को लागत मूल्य भी ऊपर नहीं हो रहा है। किसान सरकार द्वारा धान खरीद की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं किए जाने से हताश हैं। किसान रबी फसल गेहूं एवं अपने घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए कम कीमत पर ही धान बेचने को मजबूर हैं।

प्रति किलो आठ से दस रुपये का हो रहा नुकसान

सरकार द्वारा साधारण धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपया प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जबकि ग्रेड ए धान का समर्थन मूल्य 1888 रुपया प्रति क्विंटल निर्धारित है। लेकिन, किसान मजबूरीवश आठ से दस रुपए किलो धान बेच रहे हैं। ऐसे में किसानों को प्रति किलो आठ से दस रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

कम आमदनी व बढ़ती महंगाई से किसान परेशान

बढ़ती मंहगाई के बीच धान का उचित मूल्य नहीं मिलने से किसान अपनी जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं। कमलावारी से सुशील कुमार, दिनेश कुमार, धमिया पट्टी के रामसेवक ठाकुर, मनोज ठाकुर, महेंद्र मंडल, गोपाली पासवान समेत अन्य गांव के किसानों ने बातचीत के क्रम में अपना दुखड़ा व्यक्त करते हुए कहते हैं कि इस बार हमलोग दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तो अंतिम समय में खेतों में लगे धान के फसल पर अनजान कीड़ों के प्रकोप के कारण धान की उपज कम हो गई, दूसरी तरफ धान का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उस पर बढ़ती महंगाई के कारण हालत दयनीय बन गई है। पांच किलो धान बेचने के बाद एक किलो आलू खरीद पा रहा हूं। सहज किसानों की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।

जानबूझकर देर से खरीद शुरू करते पैक्स अध्यक्ष

जयनगर प्रखंड के बीसीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि सभी पैक्स अध्यक्षों से धान अधिप्राप्ति को लेकर प्रस्ताव मांगा गया है, अब तक प्रस्ताव नहीं आया है। दस दिनों के अंदर किसानों से धान खरीदने की प्रक्रिया प्रारंभ करने की बात उन्होंने कही। बीसीओ ने कहा कि किसान कुछ दिन इंतजार करे, अभी धान में नमी ज्यादा है। 17 प्रतिशत नमी होने पर ही धान कि खरीद की जाएगी। हालांकि, अधिकांश पैक्स अध्यक्ष जानबूझ कर धान खरीद कि प्रक्रिया विलंब से प्रारम्भ करते हैं और किसानों से धान खरीदने के बजाय बिचौलिए से धान खरीद कर खुद की कमाई की जुगत में लगे रहते हैं। हर वर्ष किसानों के हाथ निराशा ही हाथ लगती है। 


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