मुजफ्फरपुर में गांधीजी ने बिहार की ऐतिहासिकता को पहचाना, चंपारण सत्याग्रह से एकजुट हुए देश के दीवाने Muzaffarpur News
बिहार में जो स्वीकार्य हुआ उसने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। बिहार इतिहास परिषद की ओर से आयोजित दो दिवसीय अधिवेशन के दूसरे सत्र में इतिहासकारों ने रखे सारगर्भित विचार।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। गांधी के पास लोगों की नब्ज पकडऩे की अद्भुत शक्ति थी। बिहार में जो स्वीकार्य हुआ उसने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। गांधीजी ने बिहार आने के साथ ही इसको परख लिया था। चंपारण और मुजफ्फरपुर से शुरू आंदोलनों ने उन्हें गांधी बना दिया। ये बातें बिहार इतिहास परिषद की ओर से आयोजित दो दिवसीय अधिवेशन के दूसरे सत्र में डॉ.रवींद्र भारती विश्वविद्यालय कोलकाता के प्रो.हितेंद्र पटेल ने कहीं। उन्होंने कहा कि 1942 में बिहार सेंटर ऑफ पॉलिटिक्स था और गांधी हीरो बन चुके थे।
गांधी के भारत आने से पहले जो आंदोलन हो रहे थे उनमें एकजुटता नहीं थी। गांधी ने देश में ऐसा माहौल पैदा किया कि लोग एकजुट हो गए। आज के उपन्यासों में गांधी का जिक्र मिलता है, इसी से पता चलता है कि गांधी लोगों के जेहन में बसे हुए हैं। बिहार के चप्पे-चप्पे से आज भी गांधी की सुगंध आती है।
डॉ.पटेल ने कहा कि अंतिम समय में गांधी का कुछ लोगों ने साथ छोड़ दिया। ये वही लोग थे जो गांधी का उपयोग या दुरुपयोग करना चाहते थे। इसीलिए वर्तमान परिदृश्य में जरूरी है कि अपने-अपने इलाके में मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका और अन्य भाषाओं में हो रहे शोध में भी गांधी को शामिल करें। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो.राजेश कुमार सिंह ने कहा कि चंपारण के आंदोलन ने गांधी को एक अलग पहचान दिलाई।
इतिहासकारों को चाहिए कि गांधी के कार्यों को रीविजिट कर और उसपर शोध भी हो। गांधी में कुछ तो विशेषता थी क्योंकि गांधी के आने के बाद ही आजादी का आंदोलन तेज हुआ। नई दिल्ली से आए डॉ.प्रभात कुमार शुक्ल ने कहा कि देश में बहुत सारी विसंगतियां थीं, बावजूद गांधी ने इसे चुनौती के रूप में लिया और पूरे देश को एकत्रित कर दिया। गांधी ने लोगों को देखकर कहा था कि आइ एम फेस टू फेस विथ गॉड यही गांधी को गांधी बनाता है।
वहीं दूसरी ओर बनारस और अन्य जगहों पर गांधी का विरोध भी किया गया पर जब गांधी मुजफ्फरपुर आए तो यहां के लोगों ने उनकी आरती उतारी और लड़के बग्गी पर बिठाकर स्टेशन तक लेकर गए। तभी गांधी ने यहां की ऐतिहासिकता को पहचान लिया था। डॉ.रत्नेश कुमार ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और डॉ.राहुल कुमार ने जनसंख्या नियंत्रण पर वक्तव्य दिया। डॉ.मनीष कुमार ने दलित समन्वय पर गांधी, आंबेडकर एवं जगजीवन राम के विचारों की तुलनात्मक व्याख्या की। कार्यक्रम को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।