वीटीआर में पहली बार बाघ के साथ शाकाहारी जानवरों की गणना
वीटीआर प्रशासन के अनुसार बाघों का भटकाव जंगल में भोजन और रहवास क्षेत्र में कमी के कारण होता है। शाकाहारी जानवरों की संख्या से पता चल सकेगा कि बाघ भोजन की तलाश में भटक रहे या उनके लिए जगह कम पड़ रही है।
बेतिया (प. चंपारण), शशि कुमार मिश्र। वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) में इस साल तीन बाघों की मौत हो चुकी है। तीनों ही घटनाओं में आपसी संघर्ष और भटकाव कारण रहा। इस पर अधिक जानकारी के लिए वीटीआर प्रशासन ने खास तैयारी की है। पहली बार बाघों के साथ-साथ शाकाहारी वन्यप्राणियों की भी गणना करेगा। इसके लिए 'आल इंडिया टाइगर एस्टिमेशनÓ नामक एप का इस्तेमाल होगा। इसके लगाए जाने से ट्रैप कैमरे में ली गई तस्वीर और अन्य जानकारी को वन्यजीव संस्थान, देहरादून भेजने के लिए कागजी प्रक्रिया नहीं करनी होगी। फील्ड से ही एप के माध्यम से बाघों और अन्य शाकाहारी जानवरों की तस्वीर भेजी जा सकेगी। वीटीआर प्रशासन के अनुसार, बाघों का भटकाव जंगल में भोजन और रहवास क्षेत्र में कमी के कारण होता है। शाकाहारी जानवरों की संख्या से पता चल सकेगा कि बाघ भोजन की तलाश में भटक रहे या उनके लिए जगह कम पड़ रही है।
वन प्रमंडलवार लगाए जाएंगे कैमरे
क्षेत्र निदेशक एचके राय के अनुसार, वन क्षेत्र में गणना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 250 जोड़े ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। इसके लिए स्पाट चिह्नित किए जा रहे हैं। इसे पूरा करने के साथ ही अगले माह ट्रैप कैमरों को लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। वन प्रमंडल के अनुसार कैमरों को लगाया जाएगा।
वीटीआर में 15 हजार चीतल
वर्तमान में वीटीआर में 15 हजार चीतल, दो हजार सांभर, 75 सौ नीलगाय, 17 सौ वाङ्क्षकग डीयर, 300 गौर तथा नौ हजार जंगली सुअर हैं। इस वर्ष की जा रही गणना में अगर इनकी संख्या बढ़ती है तो माना जाएगा कि बाघों के भटकाव का मुख्य कारण जगह की कमी है।
पीएम घोषित करेंगे इस बार की गणना के परिणाम
इस बार के बाघों व अन्य वन्यजीवों की गणना का परिणाम सार्वजनिक किया जाएगा। अगले साल 29 जुलाई यानी विश्व बाघ दिवस पर प्रधानमंत्री रिपोर्ट को जारी करेंगे। इसे देखते हुए इस बार की गणना को अपडेट तरीके से किया जा रहा है।