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Guru Purnima : तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने बढ़ा दी गुरु और शिष्य के बीच की शारीरिक दूरी

Guru Purnima ज्यादातर जगहों पर ऑनलाइन ही गुरु पूर्णिमा मनाए जाने की संभावना। शिष्य अपने गुरु के ऑनलाइन दर्शन कर लेंगे उनका आशीर्वाद।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 07:57 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 07:57 AM (IST)
Guru Purnima : तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने बढ़ा दी गुरु और शिष्य के बीच की शारीरिक दूरी
Guru Purnima : तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण ने बढ़ा दी गुरु और शिष्य के बीच की शारीरिक दूरी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। तेजी से बढ़ रहे कोरोना संकट ने इस बार गुरु पूर्णिमा पर गुरु और उनके शिष्यों के बीच की शारीरिक दूरी को भी बढ़ा दिया है। शिष्य गुरु से मिल तो सकेंगे लेकिन शारीरिक दूरी मापदंड की सख्ती होगी। इस कारण इस बार गुरु पूर्णिमा ज्यादातर जगहों पर ऑनलाइन ही मनाए जाने की संभावना है। शिष्य अपने गुरु के ऑनलाइन ही दर्शन कर सकेंगे और गुरु का आशीर्वाद लेंगे। इसके लिए कई स्तर पर तैयारी कर ली गई है। 

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रही है बड़े आयोजनों की परंपरा

प्रत्येक साल स्कूलों में भी इस दिन बड़े आयोजन की परंपरा रही है। लेकिन स्कूल बंद होने के कारण इस बार कोई आयोजन नहीं होगा। लोगों की मानें तो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बरते जा रहे एहतियात के तहत इस वर्ष गुरु पूर्णिमा उत्सव घरों में ही मनाया जाएगा। श्रद्धालु मंदिरों और अपने गुरुजनों के मठ-आश्रम में नहीं जा सकेंगे। मंदिरों में भी उत्सव का आयोजन नहीं होगा।

गुरु पूर्णिमा का व्यापक महत्व

पंडित प्रभाात मिश्र कहते हैं कि गुरु पूर्णिमा का व्यापक महत्व है। गुरुओं की पूजा इसलिए जरूरी है क्योंकि उनकी कृपा से व्यक्ति कुछ भी हासिल कर पाता है। गुरुओं के बिना किसी भी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। इस वजह से गुरुओं को भगवान से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

- गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

- फिर घर के मंदिर में किसी चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर व्यास-पीठ बनाएं।

- इसके बाद 'गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्येÓ मंत्र का जाप करें।

- अपने गुरु या उनकी फोटो की पूजा करें।

- यदि आप अपने गुरुओं को सामने हैं तो सबसे पहले उनके चरण धोएं। उन्हें तिलक लगाएं और फूल अर्पण करें।

- अब उन्हें भोजन कराएं।

- इसके बाद दक्षिणा देकर उनके पैर छुएं और उन्हें विदा करें। 


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