स्मार्ट सिटी का सपना नहीं बन सका हकीकत, नहीं हुआ अबतक कार्यालय का निर्माण
स्मार्ट सिटी कंपनी के कर्मचारियों की बहाली नहीं हो सकी। एक योजना को जमीन पर नहीं उतार पाई कंसल्टेंट। जुलाई 2015 को शहर स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल हुआ।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। देश के सौ स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल होने के बाद शहरवासी बेहतर शहर का सपना देखने लगे थे। देखते-देखते चार साल बीत गए, लेकिन सपना नहीं बना हकीकत। सपने को साकार करने के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी प्रालि के गठन एवं प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट की नियुक्त को भी एक साल से अधिक बीत गए।
शहर को स्मार्ट सिटी में तब्दील करने की बात तो दूर कंपनी अपने लिए एक कार्यालय तक का निर्माण नहीं करा सकी। कंपनी के कर्मचारियों की बहाली भी अब तक नहीं हो पाई है। ऐसे में किसी योजना के जमीन पर उतरने की बात करना बेमानी होगा।
2015 में शामिल हुआ था सूची में
जुलाई 2015 को शहर स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल हुआ। जून 2017 में शहर भागलपुर के बाद पटना के साथ स्मार्ट सिटी घोषित हुआ। अक्टूबर 2017 में परियोजना के संचालन के लिए स्मार्ट सिटी कंपनी प्रालि. का गठन हुआ। जनवरी 2018 में कोलकाता की एजेंसी कंपनी की कंसल्टेंट चुनी गई। अब तक कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की आठ बैठकें हो चुकी है। लेकिन हकीकत यह है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एक भी काम अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई है।
कार्यालय व कमान सेंटर को नहीं मिल रही जगह
स्मार्ट सिटी कंपनी को अपने कार्यालय, कंट्रोल एवं कमांड सेंटर खोलने लिए जमीन चाहिए। पहले प्रमंडलीय कार्यालय परिसर में सेंटर खोलने का प्रस्ताव लाया गया, लेकिन सहमति नहीं बनी। फिर नगर भवन के समीप स्थित एमआरडीए भवन परिसर में कार्यालय एवं कमांड सेंटर खोलने का प्रस्ताव रखा। नगर आयुक्त सह कंपनी के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी ने इस प्रस्ताव को निगम सशक्त स्थायी समिति की बैठक में रखा। समिति ने यह अधिकार महापौर को दे दिया है। अब फाइल मेयर के पास है।