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कॉपी जांच को लेकर टकराव की स्थिति, परीक्षा नहीं होने देने की चेतावनी

संबद्ध शिक्षकों की धमकी पर रजिस्ट्रार ने डीएम और एसएसपी से मांगी मदद। 24 जनवरी से प्रस्तावित पार्ट वन की परीक्षा भी नहीं होने देने पर आमादा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 10:52 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 10:52 AM (IST)
कॉपी जांच को लेकर टकराव की स्थिति, परीक्षा नहीं होने देने की चेतावनी
कॉपी जांच को लेकर टकराव की स्थिति, परीक्षा नहीं होने देने की चेतावनी

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। स्नातक थर्ड पार्ट की रविवार से शुरू होनेवाली कॉपी जांच कार्य को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन व संबद्ध डिग्री कॉलेज के शिक्षकों में टकराव की स्थिति है। शिक्षकों ने एलान किया है मूल्यांकन कार्य तो रोकेंगे ही 24 जनवरी से प्रस्तावित स्नातक पार्ट वन की परीक्षा भी नहीं होने देंगे। उधर, रजिस्ट्रार कर्नल अजय कुमार ने व्यवधान डालने पर बलपूर्वक निपटने की तैयारी की है।

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 रजिस्ट्रार ने डीएम-एसएसपी को इस मुतल्लिक पत्र लिखकर शहर के तीन मूल्याकंन केंद्रों-एमडीडीएम, रामेश्वर सिंह व एमएसकेबी महाविद्यालय पर पर्याप्त सुरक्षा बल के साथ मजिस्ट्रेट तैनात करने की मांग की है। शुक्रवार को एमएसकेबी केंद्र पर कॉपियां लेकर पहुंचे ट्रक को शिक्षकों द्वारा घेरकर रोक लिया गया था। इस मामले में वहां के प्राचार्य ने डीएम को अलग से पत्र लिखकर स्थिति की नाजुकता से अवगत कराया है।

 प्राचार्य ने डीएम को बताया है कि उनके केंद्र पर सामान्य अध्ययन की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच के लिए सीतामढ़ी से कॉपियां आई हुई हैं, लेकिन संबद्ध कॉलेजों के शिक्षक विरोध पर अडिग हैं। इस बीच बुटा-बुस्टा ने भी संबद्ध डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों के आंदोलन को अपना समर्थन दे दिया है।

 इससे संबद्ध शिक्षकों का पलड़ा भारी हो गया है। इस बीच शिक्षकों ने कहा है कि करो या मरो की स्थिति है। प्रशासन चाहे जो भी कदम उठाए उसका डटकर मुकाबला किया जाएगा। शनिवार को रामेश्वर कॉलेज में जाकर शिक्षकों ने मूल्यांकन का विरोध किया।

इसलिए भड़के हैं शिक्षक

मूल्यांकन का विरोध करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं का कहना है कि कुलपति ने आश्वस्त किया था कि राजभवन से उनके बारे में कोई निष्कर्ष निकलने के बाद ही मूल्यांकन शुरू कराया जाएगा। मगर, विश्वविद्यालय प्रशासन धोखे से मूल्यांकन केंद्रों पर कॉपियां भेजने लगा है और रविवार से मूल्यांकन कराने की तैयारी भी कर ली है। जब तक हम सबको मूल्यांकन कार्य में शामिल नहीं किया जाता, तब तक विरोध जारी रहेगा।

 राजभवन ने यह कहकर इन शिक्षकों से मूल्यांकन कराने पर रोक लगा दिया है कि ये लोग अच्छी तरह कॉपी जांच नहीं करते। लिहाजा, इन शिक्षकों यहीं बात नागवार गुजर रही है। उनका तर्क है कि जब योग्य नहीं हैं तो पहले ये काम क्यों कराए जाते रहे? फिर कॉलेजों में पढ़ाने क्यों दे रहे हैं?

 शिक्षकों का नेतृत्व करने वालों में डॉ. धनंजय कुमार सिंह, डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह टुनटुन, डॉ. धर्मेंद्र चौधरी, डॉ. रामविनोद शर्मा, डॉ. सीमा कुमारी, डॉ. बबिता कुमारी, डॉ. रंजना कुमारी, डॉ. रेणु कुमारी, डॉ. अजय श्रीवास्तव, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. रमण कुमार, डॉ. ललन शर्मा, डॉ. ललित किशोर, डॉ. सतीश कुमार आदि शामिल हैं।

पूर्व रजिस्ट्रार बोले, इनके बिना नहीं चलने वाला कोई काम

बुस्टा के अध्यक्ष व पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. विवेकानंद शुक्ला और महासचिव डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने समर्थन में कुलपति को पत्र लिखकर कहा है कि उनके सहयोग के बिना मूल्यांकन कार्य संभव नहीं है। क्योंकि 70 फीसद यहीं शिक्षक मूल्यांकन कार्य करते रहे हैं। राजभवन अगर चाहता है कि वाकई सही समय पर रिजल्ट और परीक्षा हो तो उनको अलग कर इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

बुस्टा की अपील, अंगीभूत कॉलेज भी नहीं करें मूल्यांकन

बुस्टा के पूर्व महासचिव व सीनेटर डॉ. अरुण कुमार सिंह ने अंगीभूत महाविद्यालयों के तमाम शिक्षकों से आग्रह किया है कि वे मूल्यांकन कार्य से खुद को अलग कर लें। एमएलसी डॉ. संजय कुमार सिंह, पूर्व एमएलसी डॉ. नरेंद्र प्रसाद सिंह ने भी सहयोग व समर्थन की बात कही है।


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