एसकेएमसीएच में भर्ती तीन बच्चों में एईएस की पुष्टि
गर्मी बढ़ने के साथ ही तेज बुखार के साथ एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है।
मुजफ्फरपुर। गर्मी बढ़ने के साथ ही तेज बुखार के साथ एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में भर्ती तीन बच्चों में एईएस की पुष्टि हुई। इसमें कुढ़नी का अंकुश कुमार, मीनापुर घोषौत का अंकित कुमार एवं मोतिहारी छितौनी का अभिराज कुमार शामिल है। इन सभी को दो दिन पहले चमकी के साथ तेज बुखार की शिकायत पर भर्ती कराया गया था। मंगलवार को आई जांच रिपोर्ट में एईएस की पुष्टि हुई। छह बच्चों का चल रहा इलाज
एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में एईएस से पीड़ित अब तक 33 बच्चों को भर्ती कराया जा चुका है। इनमें मुजफ्फरपुर के 19, पूर्वी चंपारण के नौ, वैशाली के दो और शिवहर के एक व सीतामढ़ी जिले के दो बच्चे हैं। 22 बच्चे स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। वहीं छह का इलाज अभी चल रहा है। जबकि पूर्व में पांच की मौत इलाज के दौरान हो चुकी है। स्टेट डेस्क :एईएस से बचाव को अब बच्चों को मिलेगा पौष्टिक आहार
जासं, मुजफ्फरपुर : गर्मी में बच्चों के लिए काल बनकर आने वाली एईएस बीमारी के अब तक जो कारण सामने आए उसमें रात में भूखे पेट सोने वाले बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसको लेकर लगातार हर स्तर से जिलाधिकारी को सुझाव भी आ रहे हैं। इस सुझाव को अब जमीनी रूप देने के लिए मंगलवार को जिला राहत कमेटी की बैठक नगर आयुक्त मनेश कुमार मीणा की अध्यक्षता में निगम कार्यालय में हुई। डीएम की ओर से गठित कमेटी ने एईएस के प्रकोप से बच्चों को बचाने के लिए उनके बीच सूखा पौष्टिक अनाज व ग्लूकोज आदि के पैकेट वितरित करने पर सहमत हुई। डीएम के निर्देश पर इसके लिए लोगों से मदद की अपील करने का निर्णय लिया गया। बैठक में शामिल रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव उदय शकर प्रसाद सिंह ने बताया कि जिले में 12 हजार से ज्यादा पैकेट वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए गुड़, सत्तू, मूंगफली, बिस्किट, ग्लूकोज सहित अन्य सामान एकत्र किए जाएंगे। एक विशेष पौष्टिक पैकेट पर 450 रुपये खर्च आने की संभावना है। जनसहयोग से मिली सामाग्री रेडक्रॉस में संग्रह कर उसका वितरण एईएस से प्रभावित प्रखंडों में जरूरतमंद बच्चों के बीच किया जाएगा।
मील का पत्थर साबित होगा कदम
सांसद अजय निषाद ने कहा कि जिलाधिकारी का यह कदम आने वाले दिन में एईएस से बचाव के मील का पत्थर साबित होगा। इस बीमारी से गांव के अधिकतर गरीब परिवार के बच्चे मर रहे हैं। इसलिए मिड-डे मील की तर्ज पर शाम में सामूहिक भोजन कराया जाए, ताकि कोई बच्चा भूखे ने सोए। इस तरह का सुझाव वह लगातार सरकार व प्रशासन को देते रहे हैं। हाल में जिलाधिकारी डॉ.चंद्रशेखर सिंह के सामने सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने भी कई बार सुझाव दिया था कि शत-प्रतिशत टीकाकरण के बाद शाम में खाने का इंतजाम होना चाहिए। जिलाधिकारी इस पर गंभीर हैं। चमकी पर चर्चा अभियान के बाद अब पौष्टिक पैकेट वितरण की योजना से बच्चों को बीमारी से बचाने में मदद मिलेगी।