दरभंगा में सीएम लॉ कालेज को हाइकोर्ट से नहीं मिली राहत, अगली सुनवाई का इंतजार
Darbhanga News पटना उच्च न्यायालय ने सूबे बिहार के 17 लॉ कालेज में नामांकन पर रोक को हटाने का दिया निर्देश इस सूची में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन सीएम ला कालेज का नाम नहीं ।
दरभंगा, जासं। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन सीएम लॉ कालेज में नामांकन पर लगी रोक अभी तक बरकरार है। जबकि पटना हाई कोर्ट ने सूबे के 17 लॉ कालेज में छात्रों के नामांकन पर लगी रोक हटाने का निर्देश जारी किया है। इस सूची में सीएम लॉ कालेज का नाम नहीं है। आजादी पूर्व से स्थापित सीएम ला कालेज में एलएलबी कोर्स में नामांकन बंद है। इस कारण मिथिला क्षेत्र के लोगों में घोर निराशा छा गई है। सीएम लॉ फैकल्टी की स्थापना 1945 में की गई थी। यह कालेज स्थापना काल से सैकडों न्यायिक पदाधिकारी, बिहार प्रशासनिक अधिकारी, हजारों हजार नामचीन अधिवक्ता को लॉ की डिग्री प्रदान किया। 1992 में विश्वविद्याल की सीनेट और सिंडिकेट ने इसे अंगीभूत इकाई घोषित किया था।
कालेज में दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सुपौल,सहरसा सहित उत्तर बिहार के अन्य जिलों से छात्र-छात्राएं नामांकन को आते हैं। सत्र 2020-21 और 21-22 से नामांकन बंद है। इधर बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव शिवशंकर झा,ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के राजीव रंजन ठाकुर ने कुलाधिपति फागू चौहान और मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी ङ्क्षसह, स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन और बीसीआई के चेयरमैन से छात्र हित में कालेज में नामांकन पर लगी रोक को हटवाने की मांग की है। हटवाने की मांग किया है।बताते दें कि कालेज में प्रत्येक सत्र में एलएलबी के 320 छात्रों की पढ़ाई चल रही थी।
बीसीआई की मानकों पर फेल उतरा लॉ कालेज
लॉ कालेज में आधारभूत संरचना, शिक्षकों की उपस्थिति, वर्गों की संख्या, शिक्षक-छात्र अनुपात सहित कई पढऩ-पाढऩ संबंधित समस्याओं को लेकर वर्ष 2020 और 2021 में बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) की टीम ने निरीक्षण किया था। 2020 में पहुंची टीम ने बीसीआई मानकों में कमी बताते हुए इसे साल भर में पूरा करने को निर्देशित किया था। इसके बाद फिर 2021 में नामांकन पर रोक लगने के बाद बीसीआई ने वर्चुअल निरीक्षण कर फटकार लगाई थी। कहा था कि संस्थान के मानक को बेहतर करने के लिए एक साल का समय दिया गया था। लेकिन कालेज और विश्वविद्यालय की उदासीनता के कारण मानकों को सही नहीं किया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। बीसीआई की टीम ने कालेज की वास्तविक स्थिति का आकलन कर कोर्ट को जानकारी दी थी।
22 शिक्षकों की जगह पांच और 15 क्लास रूप की जगह 06 से चल रही थी एलएलबी की पढ़ाई
बार काउंसिल आफ इंडिया के मानकों के मुताबिक एलएलबी स्तर के डिग्री कोर्स को चलाने के लिए कालेज की आधारभूत संरचना बेहतर होने के साथ ही कम से कम 22 शिक्षक, 15 क्लास रूप होने चाहिए। जबकि सीएम लॉ कालेज में स्थायी रूप से सिर्फ पांच और दो-तीन अतिथि शिक्षकों के भरोसे 320 छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित की जा रही थी। 320 छात्रों के पढऩ-पाढऩ के लिए सिर्फ छह क्लास रूप की व्यवस्था है। मानकों के मुताबिक एलएलबी पाठ्यक्रम के लिए कालेज में मूट कोर्ट , सेमिनार रूम, कॉन्फ्रेंस हाल, होस्टल , मॉडर्न लाइब्रेरी, सक्रिय लीगल ऐड एवं स्व'छ शौचालय की भी समुचित व्यवस्था नही है।
पूर्व छात्रों की राय
सीएम लॉ कॉलेज की मान्यता बहाल रखने के उद्देश्य से इसके आधारभूत संरचना में सुधार की जरूरत है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बिहार सरकार से आर्थिक अनुदान की भी बड़े पैमाने पर जरूरत है। इससे आर्थिक संकट से उबरने और ढांचागत विकास में मदद मिलेगी। कालेज में नियमित प्राचार्य का अभाव है। साथ ही शिक्षकों और कर्मचारियों की संख्या भी काफी कम है। इससे पढ़ाई प्रभावित होती है। -सुमन कुमार, पूर्व छात्र सीएम लॉ कालेज, दरभंगा।
कोर्ट में सीएम ला कालेज में छात्रों के नामांकन पर रोक हटाने को लेकर केस चल रहा है। अगली सुनवाई में लॉ कालेज में नामांकन को लेकर फैसला आ सकता है। -प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंंह, कुलपति, लनामिवि, दरभंगा।