जल संकट के लिए बुडको जिम्मेदार, जमीन पर नहीं उतर पाई करोड़ों की जलापूर्ति योजना
98 करोड़ की जलापूर्ति पर काम हो जाता तो शहरवासियों को नहीं झेलनी पड़ती पानी की किल्लत। 3.80 अरब की जलापूर्ति योजना को लेकर कठघरे में बुडको।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। करोड़ों की जलापूर्ति योजना को जमीन पर उतारने में बुडको (बिहार अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) की विफलता का दंश जल संकट के रूप में शहरवासी झेल रहे हैं। शहरवासियों के साथ-साथ नगर निगम को भी इसका दंश झेलना पड़ रहा है। वर्तमान जल संकट के लिए लोग निगम प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हैं, लेकिन वर्तमान पेयजल संकट के लिए बुडको पूरी तरह से जिम्मेवार है।
जमीन पर नहीं उतर पाई 59 करोड़ की जलापूर्ति योजना
पांच साल पूर्व केंद्र सरकार ने शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए 98 करोड़ रुपये दिए थे। योजना के तहत पूरे शहर को दस भागों मे बांटकर जलापूर्ति पाइप लाइन बिछाने, पंप हाउसों, जलमीनारों, अंडरग्राउंड रिर्जव टैंक, कर्मचारियों के लिए क्वार्टर का निर्माण कराना था। योजना के तहत पांच सालों तक जलापूर्ति एवं रखरखाव की जिम्मेवारी तथा पाइप लाइन बिछाने के समय ही लोगों के घरों को पानी कनेक्शन से जोडऩे का प्रावधान किया गया था। इसके तहत दस जलमीनारों एवं 29 पंप हाउसों का निर्माण होना था।
केंद्र से राशि मिलने के बाद राज्य सरकार ने योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेवारी बुडको को सौंपी थी। बुडको ने निविदा के माध्यम से काम का जिम्मा हैदराबाद की कंपनी आइवीआरसीएल को सौंपा था। कंपनी ने कार्य पर करोड़ों खर्च कर दिए। पांच सालों तक शहर के कई भागों में पाइन लाइन बिछाया गया और जलमीनार बनाने का काम शुरू किया गया। समय पर काम पूरा नहीं करने के कारण बुडको ने कंपनी के साथ हुए करार को रद कर दिया। इसका परिणाम यह निकला की करोड़ों खर्च के बाद योजना अधूरी रह गई।
शहरवासियों को एक बाल्टी पानी तक नहीं मिला। बची राशि का क्या हुआ यह बताने वाला कोई नहीं। लोगों का कहना था कि योजना के विफलता के बाद न सरकार ने संज्ञान लिया और न ही निगम ने। लोगों का कहना था कि योजना जमीन पर उतर जाती तो वर्तमान हालात पैदा नहीं है।
3.80 अरब की जलापूर्ति योजना को लेकर कठघरे में बुडको
एक बार फिर एशियन डेवलपमेंट बैंक की मदद से शहरवासियों की प्यास बुझाने को 3.80 अरब की योजना बनाई गई है। वर्ष 2051 की आबादी को लक्ष्य कर योजना के तहत
शहर में 20 स्थानों पर वाटर टैंक एवं 18 जगहों पर पंप हाउस का निर्माण होना है। लोगों के घरों तक पानी पहुंचाने के लिए पूरे शहर में पाइप लाइन का विस्तार किया जाना है। बुडको की नाकामी को नजरअंदाज कर एक बार फिर अरबों की जलापूर्ति योजना के कार्यान्वयन का जिम्मा सौंप दिया गया है। योजना को लेकर एक बार फिर बुडको की लापरवाही नजर आने लगे है। जिस गति से काम चल रहा है उसकी सफलता सवालों के घेरे में है।
अधिकारियों ने कहा
इस बारे में महापौर सुरेश कुमार ने कहा कि सरकार जलापूर्ति एंव जलनिकासी जैसे विकास योजनाओं का जिम्मा बुडको को दे देती है। लेकिन बुडको का न तो शहर में काई कार्यालय है और न ही आधार। योजना की प्रगति की जानकारी भी नहीं मिलती। ऐसे में बुडको की गलती का खामियाजा नगर निगम को भुगतना पड़ता है।
उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला ने कहा कि बुडको को शहर के विकास की बड़ी जिम्मेवारी सौंपी जाती है। वह योजनाओं को जमीन पर उतारने को लेकर गंभीर नहीं है। पेयजल संकट को लेकर निगम को शहरवासियों का आक्रोश झेलना पड़ता है। जबकि वर्तमान हालात के लिए बुडको जिम्मेवार है।
नगर आयुक्त संजय दूबे बोले कि नगर निगम अपने पास उपलब्ध संसाधनों के बल पर जल संकट से निपटने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। जहां तक समस्या के स्थायी समाधान की बात है तो जलापूर्ति योजना की जिम्मेवारी बुडको को दी गई है। निगम को जो जिम्मेवारी मिली है वह उसे पूरा करने को गंभीरता से काम कर रहा है।
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