भूमि विवाद के निपटारे में दिलचस्पी नहीं ले रहे अंचलाधिकारी, लापरवाही पर डीजीपी हुए सख्त
राज्य के एक तिहाई सीओ व थानाध्यक्ष ने ही की प्रत्येक शनिवार को बैठक, सीओ की अनुपस्थिति से ही नहीं हो सकीं अधिकतर बैठकें, डीजीपी ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। राज्य में भूमि विवाद के निपटारे के लिए सरकार के प्रयास को उनके ही कर्मी ठेंगा दिखा रहे है। भूमि विवाद के निपटारे के में अंचलाधिकारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। इस कारण समस्या को दूर करने में सरकार को सफलता नहीं मिल पा रही है। भूमि विवाद के निपटारे के लिए सरकार ने प्रत्येक शनिवार को अंचलाधिकारी व थानाध्यक्ष को संयुक्त रूप से बैठक करने का निर्देश दिया था।
मगर, अंचलाधिकारियों ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली। स्थिति यह है कि राज्य के एक तिहाई थानों में यह बैठक ही नहीं हुई। आश्चर्य यह कि अधिकतर जगहों पर अंचलाधिकारी बैठक में नहीं आए। जबकि उन्हें ही इसमें मुख्य भूमिका निभानी थी। अंचलाधिकारियों की इस लापरवाही को लेकर डीजीपी केएस द्विवेदी ने मुख्य सचिव दीपक कुमार को पत्र लिखा है।
उन्होंने प्रत्येक शनिवार को अंचलाधिकारी या अन्य नामित पदाधिकारी को बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित कराने का आग्रह किया है। पत्र के आलोक में अपर समाहर्ता डॉ. रंगनाथ चौधरी ने एसडीओ व डीसीएलआर को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। जिले में इस बैठक की रिपोर्ट भी देने को कहा गया है।
1013 में से 369 में बैठक नहीं
डीजीपी के पत्र में कहा गया है कि राज्य के 1013 थानों में से 644 में ही शनिवार को संयुक्त बैठक हुई। 369 में इसका आयोजन नहीं हो सका। इससे भूमि विवाद के मामले नहीं निपटाए जा सके। अधिकतर मामलों में सीओ की अनुपस्थिति से बैठक टल गई।
सीओ की जगह नामित पदाधिकारी को शामिल करें
डीजीपी ने कहा कि एक अंचल में कई थाने हैं। इससे सभी थानों की बैठक में शामिल होना संभव नहीं। इसे देखते हुए सीओ की जगह कोई नामित पदाधिकारी को बैठक में शामिल कराया जा सकता है।