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Samastipur : अब स्कूलों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों की होगी स्वास्थ्य परीक्षण

Samastipur news चलंत चिकित्सा दलों को माइक्रो प्लान बनाने का निर्देश राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने जारी किया निर्देश 50 प्रतिशत की उपस्थिति के साथ समस्तीपुर जिले में शुरू हुआ पठन-पाठन कार्य ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 14 Feb 2021 03:52 PM (IST)Updated: Sun, 14 Feb 2021 03:52 PM (IST)
Samastipur : अब स्कूलों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बच्चों की होगी स्वास्थ्य परीक्षण
समस्तीपुर जिल में बच्चों की होगी स्वास्थ्य परीक्षण ।

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता । कोरोना संक्रमण काल में आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों को बंद कर दिया गया था। इस वजह से आंगनबाड़ी केंद्रों एवं विद्यालयों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच गतिविधियां बाधित थी। वहीं चलंत चिकित्सा दलों को कोविड-19 संबंधी रोकथाम कार्यों में लगाया गया था। अब सभी सरकारी तथा सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के कक्षा छह से बारहवीं तक में छात्र-छात्राओं की कुल क्षमता की 50 प्रतिशत उपस्थिति के साथ विद्यालयों को खोल दिया गया है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जिला शिक्षा पदाधिकारी के साथ विमर्श कर स्कूलों में स्वास्थ्य जांच गतिविधियां प्रारंभ करने का निर्देश दिया गया है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने पत्र जारी कर दिशा-निर्देश दिया है। स्वास्थ्य जांच हेतु जाने वाले चलंत चिकित्सा दलों को अनिवार्य रूप से मास्क, सैनिटाइजर एवं ग्लब्स उपलब्ध कराने को कहा गया है।

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 बच्चों का ऐसे होता है इलाज 

स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए गठित मोबाइल मेडिकल टीम जिले के प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में पहुंचती है। टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। ऐसे में जब सर्दी-खांसी व बुखार जैसी सामान्य बीमारी होगी, तब तुरंत बच्चों को दवा दी दिया जाती है, लेकिन बीमारी गंभीर होगी तब उसे आवश्यक जांच एवं समुचित इलाज के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी ऊंचाई (हाइट), सिर की परिधि, बांह की मोटाई की नापतौल करेगी। फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किए गए बच्चों से संबंधित बातों को ऑन द स्पॉट क्रमवार अंकित करते है।

 बच्चों में 45 प्रकार के बीमारी की होती है जांच

आरबीएसके के चलंत चिकित्सा दलों के द्वारा स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की 45 तरह की बीमारी का स्क्रीनिंग किया जाता है। साथ ही उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए रेफर किया जाता है। आशा को एचबीएनसी पर पांच जन्मजात विकृतियों को चिन्हित कर आरबीएसके टीम को सूचित करने का टास्क दिया गया है।

 क्या है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत शून्य से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों के चार डी पर फोकस किया जाता है। जिनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी, डिजीज, डेवलपमेंट डिलेज इन्क्लूडिंग डिसएबिलिटी यानि किसी भी प्रकार का विकार, बीमारी, कमी और दिव्यांगता शामिल है। इसमें 30 बीमारियों को चिह्नित किया गया है।

 बच्चों को जांच के बाद मिलेगा हेल्थ कार्ड

आरबीएसके कार्यक्रम में शून्य से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों की बीमारियों का समुचित इलाज किया जाता है। शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में होती है। जबकि 6 से 18 साल तक के बच्चों की स्क्रीनिंग उनके स्कूलों में जाकर की जाती है, ताकि चिह्नित बीमारियों के समुचित इलाज में देरी न हो। आंगनबाड़ी केंद्रों पर साल में दो बार यानि प्रत्येक छह महीने पर जबकि स्कूलों में साल में सिर्फ एक बार बच्चों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। स्क्रीनिंग करने के बाद बच्चों को हेल्थ कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है।


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