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Lockdown में टूटी हजारों साल की परंपरा- बेटे घर नहीं आ सके तो पत्‍नी ने दी मुखाग्नि, किया श्राद्ध

मधुबनी के लखनौर प्रखंड के जोरला बेला गांव में प्राचीन परंपरा टूटी। लॉकडाउन के कारण जब बेटे-बेटियाें का घर आना संभव नहीं हुआ तो पत्‍नी ने ही मुखाग्नि दी व कर्मकांड किया।

By Murari KumarEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 11:15 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 11:01 AM (IST)
Lockdown में टूटी हजारों साल की परंपरा- बेटे घर नहीं आ सके तो पत्‍नी ने दी मुखाग्नि, किया श्राद्ध
Lockdown में टूटी हजारों साल की परंपरा- बेटे घर नहीं आ सके तो पत्‍नी ने दी मुखाग्नि, किया श्राद्ध

मधुबनी, जेएनएन। बिहार के मधुबनी स्थित लखनौर प्रखंड के जोरला-बेला गांव में हजारों साल की परंपरा टूट गई। कारण बना कोरोना। छह संतानों के पिता अशर्फी मंडल उर्फ बौआ मंडल का निधन हो गया। लॉकडाउन में बेटे-बेटियों में से कोई घर नहीं आ सका तो पत्‍नी कौशल्‍या देवी ने दोनों बहुओं रीता देवी और शोभा देवी के साथ अर्थी कां कंधा दिया, फिर मुखाग्नि भी दी। समाज ने साथ दिया तो विधि-विधान से कर्मकांड भी कर लिया।

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गांव क्‍या पूरे इलाके के लिए इस तरह का यह पहला मामला था। कौशल्या ने कहा कि अग्नि के सात फेरे लेकर जीने-मरने की शपथ ली थी। साथ जी लिए, लेकिन मरी नहीं। खुद को धन्य समझती हूं कि पति को अपने हाथों अंतिम विदाई दे सकी। इलाके में उसके हौसले की चर्चा हर जुबां पर है। 

चाहकर भी नहीं आ सके बच्चे

अशर्फी मंडल कुछ दिनों से बीमार थे। 26 मार्च की रात उनका निधन हो गया। इसकी सूचना दोनों बेटों व चारों बेटियों को दी गई। बड़ा बेटा अशोक मंडल उत्‍तर प्रदेश के मथुरा की एक धर्मशाला में काम करता है। दूसरा बेटा मनोज मंडल मुंबई के बिरार में रहता है। दोनों की पत्नियां गांव में ही हैं। बेटों ने घर आने का प्रयास किया। मनोज पुलिस चौकी भी गया। लेकिन, लॉकडाउन ने राह रोक दी। बेथ्‍अयों के आतं की कोशिश भी बेकार गई। इसके बाद कौशल्या देवी ने 27 मार्च को पति को मुखाग्नि दी।

कर्मकांडी विद्वान ने कहा ये है शास्त्र सम्मत

फिर, कर्मकांड के लिए बेटे-बेटियों का इंतजार होने लगा, लेकिन इस बार भी वे नहीं आ सके। तब कौशल्‍या देवी ने खुद ही श्राद्धकर्म का निर्णय लिया। रविवार को एकादशा और सोमवार को द्वादशा कर्म भी हो गया। हां, लॉकडाउन के कारण भोज नहीं हो सका।

पत्‍नी द्वारा मुखाग्नि व श्राद्ध शास्त्र सम्मत

पत्‍नी द्वारा मुखाग्नि देने व श्राद्ध का कर्मकांड करने की चर्चा पूरे इलाके में है। कर्मकांडी विद्वान षष्ठीनाथ झा ने बताया कि यह शास्त्र सम्मत है।


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